पटना : बिहार सरकार की लापरवाही और ढूल मूल रवैये के चलते सीवान स्थित सूता मिल सहकारी समिति के मजदूर भुखमरी का सितम झेल रहे हैं। जो मजदूर कभी मिल में काम करते थे वे आज भी अपनी मजदूरी वापस पाने की उम्मीद में मिल परिसर में रहने को मजबूर हैं, लेकिन मिल बंद होने […]
पटना : बिहार सरकार की लापरवाही और ढूल मूल रवैये के चलते सीवान स्थित सूता मिल सहकारी समिति के मजदूर भुखमरी का सितम झेल रहे हैं। जो मजदूर कभी मिल में काम करते थे वे आज भी अपनी मजदूरी वापस पाने की उम्मीद में मिल परिसर में रहने को मजबूर हैं, लेकिन मिल बंद होने के बाद से न तो उन्हें उनका बकाया मिला है और न ही सरकार ने उनके लिए कोई व्यवस्था की है। ऐसे में इस खबर का मकसद मजदूरों की मांगों को सरकार तक पहुंचाना है और जनता को प्रदेश की हकीकत से रूबरू करवाना है।
यहां सरकार ने एक तरफ सूता मिल के परिसर में सरकारी इंजीनियर्स कॉलेज बनवा दिया और दूसरी तरफ सूता मिल में काम करने वाले मजदूरों को अकेला छोड़ दिया गया। आज ये मजदूर भुखमरी से जूझ रहे हैं। अब उनके पास न तो काम के साधन हैं और न ही सरकार की कोई उम्मीद। यहां तक कि मजदूरों को भी उनका बकाया वेतन भी नहीं मिल पाया है। ऐसे में कब तक पेट की भूख से ये मजदूर जद्दोजहद करते रहेंगे।
मिल मजदूर अब भुखमरी की कगार पर हैं। इस बीच सरकार ने प्लांट परिसर खाली करने का आदेश भी जारी कर दिया है। इन मजदूरों के पास न तो अपनी जमीन है और न ही घर। ऐसे में स्टाफ क्वाटर ही इकलौता सहारा है। इसलिए सरकार के आदेश के बाद मजदूरों का कहना है कि अगर सरकार उनसे जमीन खाली करवा ले तो उनके पास कोई रास्ता नहीं बचेगा।
दिहाड़ी मजदूर जो दिहाड़ी मजदूरी कर अपना घर चलाते थे, आज अपनी आजीविका के लिए मोहताज हो गए हैं। न तो सरकार और न ही प्रशासन उनकी ओर ध्यान देता है। मजदूरों की हालत बद से बदतर होती जा रही है, लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। चुनावी दौड़ की तैयारी कर रहे जनप्रतिनिधि अगर उन लोगों पर भी ध्यान दें जिनके लिए वे सत्ता में हैं तो शायद इन बेसहारा मजदूरों के दिन बदल जाएं।