पटना: बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है. जदयू के पार्लियामेंट्री बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा अब सत्तारूढ़ महागठबंधन (राजद) के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं. प्रमुख नेताओं, अपनी पुरानी पार्टी रालोसपा के साथियों और महात्मा फुले समता परिषद के प्रमुख लीडर्स को कुशवाहा ने मीटिंग का निमंत्रण भेजा है. उपेंद्र कुशवाहा की यह मीटिंग राजधानी पटना में 19 और 20 फरवरी को रखी गई है.
इसी कड़ी में उपेंद्र कुशवाहा ने एक चिट्ठी भी जारी की है. इस चिट्ठी में JDU के बिखरने को लेकर चिंता जाहिर की गई है. चिट्ठी में उपेंद्र का दर्द भी दिखाई दे रहा है. वह कहते हैं कि ‘मैं डेढ़ महीने से सीएम नीतीश कुमार को इस बारे में बात करना चाह रहा हूं. लेकिन वह ध्यान नहीं दे रहे हैं. वह इस बात की गलत तरीके से व्याख्या कर रहे हैं. वह आगे लिखते हैं कि आज बैठक कर चर्चा की जरूरत आ गई है. उन्होंने ये चिट्ठी अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट की है.
गौरतलब है कि इन दिनों बिहार की सियासत में महागठबंधन RJD और JDU के बीच रस्साकशी और बयानबाजी का माहौल है. सबसे पहले सुधाकर सिंह और चंद्रशेखर अपने विवादित बयान को लेकर चर्चा में आए. इस बात से नीतीश कुमार की विश्वसनीयता को लेकर फिर सवाल उठने लगे थे. सवाल तो ये भी था कि क्या वह बीजेपी के संपर्क में है? इसी बीच JDU के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बयानों से गुटबाजी को और हवा मिली. उपेंद्र के बयानों पर सीएम नीतीश ने दो टूक उन्हें पार्टी छोड़कर जाने के लिए साफ़ कह दया. हालांकि, उपेंद्र ने बता दिया कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे. अब एक बार फिर कुशवाहा ने चिट्ठी जारी कर राजनीतिक गलियारों में उथल-पुथल मचा दी.
उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार को JDU कार्यकर्ताओं के नाम एक पत्र लिखा है. इस चिट्ठी में उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं को 19 और 20 फरवरी को पटना के सिन्हा लाइब्रेरी में बैठक के लिए आमंत्रित किया है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कुशवाहा जनता दल यूनाइटेड को तोड़ने की फिराक में हैं?
चिट्ठी में कुशवाहा लिखते हैं कि आंतरिक कारणों से पार्टी रोज़ कमजोर हो रही है. महागठबंधन बनने के बाद विधानसभा उपचुनाव के परिणाम आने के समय से मैं सीएम को इस बात से अवगत करवा रहा हूं. दिन-प्रतिदिन जेडीयू जिसका अस्तित्व खोता जा रहा है उसको बचाया जा सके मैं इस बात की कोशिश कर रहा हूं. तमाम कोशिशों के बाद भी नीतीश कुमार ने मुझे अनदेखा किया है. ना केवल मेरी अनदेखी की जा रही है बल्कि मेरी व्याख्या भी अलग तरीके से की जा रही है. RJD के साथ “एक खास डील” और JDU के विलय की चर्चाओं ने पार्टी के निष्ठावान नेताओं और कार्यकर्ताओं को झकझोर कर रख दिया है. ऐसे में राजनीतिक शून्यता की स्थिति बनती जा रही है. अब समय आ गया है कि हम इस मुद्दे पर विमर्श करें.
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