मुंबई : महाराष्ट्र की सियासत में लगातार भूचाल हो रहा है. कुछ दिन पहले एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने 18 विधायकों के साथ शिंदे गुट को समर्थन दे दिया है. इसी के साथ अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली और 8 विधायकों ने भी मंत्री पद की […]
मुंबई : महाराष्ट्र की सियासत में लगातार भूचाल हो रहा है. कुछ दिन पहले एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने 18 विधायकों के साथ शिंदे गुट को समर्थन दे दिया है. इसी के साथ अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली और 8 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली. दोनों गुटों ने 5 जुलाई को अपना शक्ति प्रदर्शन किया था उसके बाद मामला चुनाव आयोग पहुंच गया है. अभी ये भूचाल शांत ही नहीं हुआ था तब तक उद्धव ठाकरे को झटका लग गया है. विधानपरिषद की उपसभापति नीलम गोरे ने शिंदे गुट का दामन थाम लिया है. नीलम गोरे ने सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.
नीलम गोरे ने उद्धव ठाकरे को अलविदा कह दिया है. वे शिवसेना से 4 बार विधानपरिषद की सदस्य चुनी गई. पहली बार नीलम गोरे 2002, 2008, 2014 और 2020 में विधानपरिषद की सदस्य रही है. नीलम गोरे 7 जुलाई 2022 से विधानपरिषद की उपसभापति हैं.
माना तो ये भी जा रहा है कि अजित पवार को कोई बड़ा विभाग दिया जा सकता है. फिलहाल के लिए वित्त और गृह विभाग जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी देवेंद्र फडणवीस को दी गई है. गौरतलब है कि बीते रविवार यानी 2 जुलाई को अजित पवार ने अपनी पार्टी से बगावत करते हुए शिंदे सरकार और भाजपा से हाथ मिला लिया था. NCP में हुई दो फाड़ के बाद अजित पवार को डिप्टी सीएम का पद मिला जिनके साथ NCP के 8 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली.
अब कैबिनेट विस्तार को लेकर भाजपा की नज़र बीजेपी और शिवसेना के उन नेताओं पर होगी जो खुद को संभावितों की दौड़ में देख रहे थे. हालांकि अजित पावर के NCP गुट के शामिल होने पर उन संभावितों की आस पर धूल चढ़ती दिखाई दे रही है. खबरें ये भी हैं कि शिवसेना के कुछ विधायकों ने अजित पवार के सरकार में शामिल होने पर नाराज़गी जताई है जिसे लेकर सीएम शिंदे ने बाद में उनसे मुलाकात की थी.
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