Shiv Sena Conflict : तीर धनुष की लड़ाई, चुनाव आयोग में 20 जनवरी को सुनवाई

  नई दिल्ली : शिवसेना पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर किसका होगा हक ? एकनाथ शिंदे या ठाकरे गुट का ? मामले की सुनवाई चुनाव आयोग के सामने हुई. शिवसेना पार्टी के तौर पर उद्धव ठाकरे का कार्यकाल 23 जनवरी को समाप्त हो रहा है. उससे पहले उद्धव ठाकरे गुट ने संगठनात्मक चुनाव […]

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Shiv Sena Conflict : तीर धनुष की लड़ाई, चुनाव आयोग में 20 जनवरी को सुनवाई

Vivek Kumar Roy

  • January 17, 2023 8:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

 

नई दिल्ली : शिवसेना पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर किसका होगा हक ? एकनाथ शिंदे या ठाकरे गुट का ? मामले की सुनवाई चुनाव आयोग के सामने हुई. शिवसेना पार्टी के तौर पर उद्धव ठाकरे का कार्यकाल 23 जनवरी को समाप्त हो रहा है. उससे पहले उद्धव ठाकरे गुट ने संगठनात्मक चुनाव करवाने की इजाजत मांगी है. इस मुद्दे पर भी केंद्रीय चुनाव आयोग में सुनवाई हुई. इस मामले में अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी. ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की. पिछली सुनवाई में चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी की दलीलें सुनी थी. सुनवाई की दौरान उद्धव ठाकरे गुट की ओर से सिब्बल ने अपील की कि वह SC का फैसला से पहले अपना फैसला न दे. आप के बता दे SC में अब इस शिवसेना पर सुनवाई 14 फरवरी को होगी.

SC के फैसले से पहले चुनाव आयोग फैसला न सुनाए

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि शिवसेना में दो गुट होने की बात सिर्फ काल्पनिक है. कुछ लोगों के अलग हो जाने से पार्टी पर दावा करना गैरकानूनी है. सिब्बल ने केंद्रीय चुनाव आयोग से अपील की कि एकनाथ शिंदे की फूट को गंभीरता से ना लें. एकनाथ शिंदे गुट ने पार्टी में रहते हुए अपनी मांगे क्यों नहीं रखी ? इसके अलावा उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे गुट के कागजात पर भी आपत्ति जताई. 7 जिला प्रमुखों के समर्थन को लेकर उद्धव ठाकरे ने इस दावे को गलत बताया.

ठाकरे गुट- सिर्फ विधायकों और सांसदों से पार्टी नहीं बनती

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि विधायकों और सांसदों के बहुमत के आधार पर पार्टी पर दावा नहीं कर सकते है. जो जनप्रतिनिधि होते हैं वे पार्टी के चुनाव चिन्ह और नाम बेस पर ही चुनाव जीत कर आते है, वे यह नहीं कह सकते कि उनके पास बहुमत है. इसलिए मूल पार्टी पर वे दावा कर सकते है. विधायकों और सांसदों ने ही सिर्फ पार्टी का गठन नहीं होता है. कई कार्यकर्ता और पदाधिकारी पार्टी बनाते है. इसलिए बहुमत होने की दलील सही नहीं है. उद्धव ठाकरे गुट द्वारा पार्टी के संविधान में नियमों में फेरबदल करने के आरोप पर तो अभी तक चुनाव आयोग ने कभी आपत्ति नहीं उठाई है. पार्टी ने संविधान में नियमों से बाहर आकर अभी तक कोइ फैसला नहीं लिया है.चुनाव आयोग ने बात मानते हुए अगली तारीख 20 जनवरी को दे दी.

 

 

 

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