द्वारका पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि अयोध्या में 1992 में कारसेवकों ने जिस ढांचे को तोड़ा था वो मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर था.
लखनऊ. पिछले दो दशकों से विवादों में रही अयोध्या की भूमि को लेकर द्वारका पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एक नया और अनोखा बयान दिया है. दरअसल उन्होंने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि 1992 में कारसेवकों ने जिस ढांचे को तोड़ा था वो मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर था. उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि में मस्जिद कभी थी ही नहीं. संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि पर कोई ऐसा चिह्न नहीं था, जिससे उसे मस्जिद कहा जा सके.
शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इस दौरान कहा कि आईन-ए-अकबरी और बाबरनामा में भी ऐसा कोई जिक्र नहीं मिलता, जिससे यह साबित हो सके कि बाबर ने अयोध्या में किसी मस्जिद का निर्माण भी कराया था. उन्होंने कहा कि एक शंकराचार्य होने के नाते सनातन धर्म की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है. शंकराचार्य ने कहा कि अदालत का आदेश आने के बाद से हम अयोध्या में विवादित स्थल पर भव्य राम मंदिर का निर्माण कराएंगे.
बता दें कि शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी को कांग्रेसी बताया जाता है. इसको लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि ‘जब भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी जा रही थी, तब वह कांग्रेसी थे क्योंकि उस समय कांग्रेस के अलाव कोई और पार्टी आजादी की लड़ाई को पुरजोर तरीके से नहीं लड़ रही थी.’ उन्होंने बताया कि फिलहाक वे खुद को धर्माचार्य मानते हैं. स्वरूपानंद सरस्वती और संघ के अलावा विहिप के बीच 36 का आंकड़ा माना जाता है. ऐसे में वे अक्सर ही विवादित बयान देते रहते हैं. इसलिए अब उनका ये नया बयान काफी मायने रखता है.
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