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चिलचिलाती धूप और 10 हजार किसान, आखिर क्यों सड़क पर चल रहे पैदल

नई दिल्ली: मार्च आधा खत्म हो चुका है। ऐसे में एक तरफ पारा हमें मार्च में मई की याद दिलाता है, तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के हजारों किसान चिलचिलाती धूप में नासिक से मुंबई की ओर कूच कर रहे हैं। यह मार्च अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले हो रहा है। किसान मुंबई […]

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चिलचिलाती धूप और 10 हजार किसान, आखिर क्यों सड़क पर चल रहे पैदल
  • March 16, 2023 5:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: मार्च आधा खत्म हो चुका है। ऐसे में एक तरफ पारा हमें मार्च में मई की याद दिलाता है, तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के हजारों किसान चिलचिलाती धूप में नासिक से मुंबई की ओर कूच कर रहे हैं। यह मार्च अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले हो रहा है। किसान मुंबई की तरफ जा रहे हैं। इसका नेतृत्व किसान सभा के नेता और माकपा के पूर्व विधायक जीवा पांडु गावित कर रहे हैं।

 

मार्च में भाग लेने वाले किसानों की संख्या लगभग 10,000 बताई जा रही है। मार्च शुरू होने के बाद किसान और महाराष्ट्र सरकार के बीच बातचीत भी हुई। लेकिन इससे काम नहीं बनता। यहाँ सवाल उठता है कि महाराष्ट्र के किसानों को 5 साल में तीसरी बार सड़क पर क्यों उतरना पड़ा। आखिर क्या हैं उनकी माँगे? आइए इस खबर के जरिए आपको बताते हैं:

 

➨ क्या हैं किसानों की माँगे?

 

बता दें, किसानों ने इस बार सड़क पर प्याज फेंकने की बजाय खुद सड़क पर उतरने का फैसला किया। किसानों ने प्याज के दाम, कपास के भाव और अरहर दाल के दाम समेत फसलों के दामों की पूरी सूची सरकार के सामने रखी। खबरों के मुताबिक, किसानों ने 17 माँगों का पत्र तैयार किया है। आइए इनमें से इनकी प्रमुख माँगे जानते हैं:

1. प्याज के भाव 2000 रुपए प्रति क्विंटल।
2. 600 रुपये प्रति क्विंटल प्याज पर सब्सिडी मुहैया हो।
3. किसान कर्ज माफी।
4. लंबित बिजली बिलों को रद्द करना।
5. 12 घंटे बिजली की आपूर्ति हो।

 

➨ किसान मुआवजे के हकदार

आपको बता दें, किसान नेता गावित ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि प्याज उत्पादक 600 रुपये प्रति क्विंटल के मुआवजे के हकदार हैं। हाल के महीनों में बेमौसम बारिश और प्याज की कीमतों में भारी गिरावट ने किसानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है।

 

➨ सरकार के बात क्यों नहीं बन रही?

किसानों के मार्च को रोकने के लिए महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे की सरकार ने किसानों से बातचीत शुरू करने की कोशिश की। 13 मार्च को प्रधान मंत्री शिंदे ने किसानों को प्रस्ताव दिया कि प्याज उत्पादकों को प्रति क्विंटल 300 रुपये का मुआवजा मिले। किसानों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। और उसने अपना मार्च जारी रखना ही उचित समझा।

 

 

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