यूपी के आयुष विभाग में बड़ा घोटाला, एडमिशन के लिए एक-एक सीट का हुआ सौदा

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के आयुष कॉलेजों में बड़े पैमाने पर हुए फर्जी एडमशिन की जांच शुरू हो गयी है, इस मामले में शिकायत हुई है कि NEET की परीक्षा पास किये बिना ही पांच-पांच लाख रूपये लेकर 891 स्टूडेंट्स के एडमिशन कर दिये गए| शुरूआती जांच में गड़बड़ी मिलने पर आयुर्वेद विभाग के निदेशक ने […]

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यूपी के आयुष विभाग में बड़ा घोटाला, एडमिशन के लिए एक-एक सीट का हुआ सौदा

Aanchal Pandey

  • November 7, 2022 6:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के आयुष कॉलेजों में बड़े पैमाने पर हुए फर्जी एडमशिन की जांच शुरू हो गयी है, इस मामले में शिकायत हुई है कि NEET की परीक्षा पास किये बिना ही पांच-पांच लाख रूपये लेकर 891 स्टूडेंट्स के एडमिशन कर दिये गए| शुरूआती जांच में गड़बड़ी मिलने पर आयुर्वेद विभाग के निदेशक ने इसकी शिकायत दर्ज कराई, मामला गंभीर पाए जाने पर अब इसकी जांच STF को सौंप दी गयी है.

ये है मामला

आयुष विभाग के अधीन आयुर्वेद, होय्म्योपैथ और यूनानी कालेजों में एडमिशन में जमकर धांधली की शिकायत मिली है| नीट की परीक्षा में जो शामिल नहीं रहे या फेल हो गए उनको एडमिशन मिला गया, और जिन्होंने परीक्षा पास की थी वो बाहर हो गए| साल 2021-22 में नीट काउसिलिंग के लिए एक निजी एजेंसी सॉफ्ट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को काउंसिलिंग का ठेका दिया गया जबकि काउंसिलिंग के लिए निजी एजेंसी का चयन सरकारी उपक्रम अपट्रान पावरट्रानिक्स लिमिटेड ने किया था। काउंसिलिंग के ज़रिये सूबे के राजकीय और निजी कॉलेजों में 73 हजार 388 सीटों पर एडमिशन हुए थे। बाद में काउंसिलिंग से लेकर सत्यापन तक की जिम्मेदारी भी निजी एजेंसी की थी। छात्रों ने एडमिशन भी ले लिया उसके बाद जब कॉलेजों ने छात्रों का सत्यापन कराना शुरू किया तो पता चला कि 1181 छात्रों के रिकॉर्ड NEET काउंसिलिंग की मेरिट सूची से नहीं मिले। इनमें से 22 छात्र ऐसे थे जो NEET में शामिल ही नहीं हुए थे। इन 1181 में से फर्जी तरह से 891 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश ले लिया है। इन मामले में आयुर्वेद विभाग के निदेशक एस एन सिंह ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया|

जब ये बात सामने आई तो आयुष विभाग में हडकंप मच गया, आननफानन में आयुर्वेद निदेशक ने काउंसिलिंग कराने वाली संस्था समेत 3 लोगों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया जिसे बाद में यूपी एसटीएफ को सौंप दिया गया| अपट्रान, निजी एजेंसी वी-3 सॉफ्ट सॉल्यूशन के कुलदीप सिंह और अज्ञात के खिलाफ जाच शुरू हो गयी है|

यहाँ सबसे बड़ा आरोप है कि निजी एजेंसी ने NEET के डाटा बेस में ही नहीं बल्कि वेबसाइट में भी छेड़छाड़ की। और नीट की असली पात्रता सूचि को ही बदल दिया गया और पैसे लेकर दूसरों के एडमिशन करा दिए गए| घोटालेबाजों ने आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी पाठ्यक्रमों की एक-एक सीट की सौदेबाजी की। पांच-पांच लाख रुपए में सीटें बेच दीं। करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे कांउसिलिंग में हो गए। एडमिशन के दलालों ने अयोग्य विद्यार्थियों को एडमिशन दिला दिया। इसमें निदेशालय के अफसर और काउंसिलिंग एजेंसी की भूमिका सवालों के घेरे में है।

 

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