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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, कहा तीन महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए मैटरनिटी लीव…

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उस प्रावधान के समर्थन पर सफाई मांगी है, जिसके तहत केवल तीन महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने वाली महिलाओं को ही मैटरनिटी लीव का लाभ दिया जाता है। बता दें, यह मामला मैटरनिटी लाभ अधिनियम, 1961 के तहत दिए गए अधिकारों की संवैधानिकता […]

Supreme Court Maternity Leave, Central Government
inkhbar News
  • November 15, 2024 7:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उस प्रावधान के समर्थन पर सफाई मांगी है, जिसके तहत केवल तीन महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने वाली महिलाओं को ही मैटरनिटी लीव का लाभ दिया जाता है। बता दें, यह मामला मैटरनिटी लाभ अधिनियम, 1961 के तहत दिए गए अधिकारों की संवैधानिकता पर आधारित याचिका से जुड़ा है।

मैटरनिटी लीव पर सवाल खड़े

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने इस प्रावधान पर विचार करते हुए कहा कि तीन महीने से अधिक उम्र के बच्चों को गोद लेने वाली महिलाओं को मैटरनिटी लीव से वंचित रखना सवाल खड़े करता है। बेंच ने कहा, अगर कोई महिला तीन महीने से अधिक उम्र का बच्चा गोद लेती है, तो उसे इस अधिनियम के तहत दिए गए लाभों का हकदार नहीं माना जाता। इसका क्या जवाब है, इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए।

प्रावधान पर होना चाहिए पुनर्विचार

केंद्र सरकार ने तीन महीने की सीमा तय करने के पीछे का तर्क पेश किया था, लेकिन सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण पहलू सामने आए। कोर्ट ने कहा कि इन मुद्दों पर गहन विचार करने की जरूरत है। बेंच ने केंद्र से कहा, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इस प्रावधान के समर्थन पर पुनर्विचार कर अपना जवाब दाखिल करे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि केंद्र इसका जवाब दे कि मैटरनिटी लाभ का अधिकार सिर्फ तीन महीने से कम उम्र के बच्चों तक ही सीमित क्यों है।

इस दिन होगी अगली सुनवाई

इसके तहत कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता को इस जवाब की कॉपी देने और हर हाल में उसे एक सप्ताह में दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। बता दें पीठ ने मामले की अगली सुनवाई और संभावित निपटारे के लिए 17 दिसंबर की तारीख तय की है।

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