मुंबई। शिवसेना पार्टी पर कब्जे को लेकर एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के बीच खींचतान जारी है। दोनों गुटों के विधायकों की अयोग्यता को लेकर आज देश की सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई भी हुई। जिसमें कोर्ट ने विधानसभा के रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। इसी बीच राज्यसभा सांसद और उद्धव गुट के शिवसेना नेता संजय राऊत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि शिवसेना में कोई असली और नकली की लड़ाई ही नहीं है। पार्टी बालासाहेब की है।
संजय राउत ने कहा कि असली नकली का मामला ही नहीं है। शिवसेना बाला साहब ठाकरे जी की है। अब ये जो नकली वाले हैं हमसे टूटे हुए फूटे हुए लोग वो ये भी कह सकते हैं कि बाला साहब ठाकरे को हमने ही पार्टी में लाया था या उद्धव ठाकरे को हमने ही शिवसेना प्रमुख बनाया है।
शिवसेना नेता ने आगे कहा कि बीजेपी और शिंदे गुट के मन की अवस्था हम समझ सकते हैं। कानून हमारे साथ है, नियम हमारे साथ है। हमे देश के सर्वोच्च न्यायालय पर पूरा विश्वास है, देश का लोकतंत्र अभी मरा नहीं है।
बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना के बागी विधायकों को लेकर सुनवाई हुई। जिसमें उद्धव गुट की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि शिवसेना से अलग हुए 16 विधायकों को अयोग्य करार दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह से लंबे समय तक अयोग्य लोगों को नहीं रहने देना चाहिए। इसके जवाब में शिंदे गुट की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने पक्ष रखा।
उद्धव गुट की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल की दलील
सिब्बल- शिवसेना से अलग होने वाले विधायक अयोग्य हैं। उन्होंने अभी किसी दल के साथ विलय भी नहीं किया है।
सिब्बल- मैं कोर्ट में राज्यपाल पर कुछ बिंदु रखना चाहता हूँ। केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहते दूसरे गुट को आमंत्रित कर दिया। फिर स्पीकर ने भी उन्हें वोट डालने का मौका दे दिया
सिब्बल- सभी बिंदुओं पर कोर्ट को फैसला लेना है। सुप्रीम कोर्ट विधानसभा से सभी रिकॉर्ड तलब कर ले और उन्हें देखे। ये भी देखे कि इस मामले में कब क्या कार्रवाई हुई? और किस तरह से कार्रवाई हुई?
सिब्बल- अयोग्य लोगों को इस तरह लंबे समय तक नहीं रहने देना चाहिए. जल्द सुनवाई हो.
एकनाथ शिंदे गुट से पेश हुए वकील हरीश साल्वे की दलील
साल्वे- मैं कोर्ट में तथाकथित पापियों की तरफ से पेश हुआ हूँ। क्या किसी भी पार्टी में रहते हुए नेता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है? क्या ये नहीं बताया जा सकता है कि अब आपको बहुमत का समर्थन नहीं है?
साल्वे- एक राजनीतिक पार्टी को भी लोकतांत्रिक तरीके से ही चलना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश- इस पर हमारी कुछ शंकाएं हैं। ये राजनीतिक मुद्दा है इसीलिए मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। लेकिन पार्टी में बंटवारे के बिना व्हिप जारी होने का क्या परिणाम होगा?
साल्वे- किसी भी सदस्य की सदस्यता तभी जाती है जब कोई पार्टी छोड़ दे या व्हिप के खिलाफ वोट करे। लेकिन क्या जिसे 15-20 विधायकों का भी समर्थन न हो, उसे कोर्ट के ज़रिए वापास लाया जा सकता है?
मुख्य न्यायाधीश- ये अलग मसला है।
बता दें कि 12 सांसदों के समर्थन मिलने के बाद संसद में एकनाथ शिंदे गुट को मान्यता मिल चुकी है। मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल शेवाले को शिवसेना नेता के रूप में मान्यता दे दी है।
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