प्रयागराज। संगम के जल में करीब 55 करोड़ लोगों ने अब तक डुबकी लगाई है। लेकिन अब जो रिपोर्ट सामने आई है उसने सबको हैरान कर दिया है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने प्रयागराज महाकुंभ के तटों के पानी की जांच की। जब रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपी गई तो सामने आया कि तटों का पानी अब नहाने लायक नहीं बचा। कुल 73 अलग-अलग जगहों के पानी का सैंपल लेकर टेस्ट किया। इस मामले पर विपक्ष ने केंद्र और यूपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी सरकार पर सवाल उठाए हैं।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, ‘नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कुंभ शुरू होने से पहले ही यह बात कह दी थी। उन्होंने कहा था कि गंगा और यमुना की धाराएं नहाने लायक नहीं हैं। उन्होंने कुछ निर्देश भी जारी किए थे कि आप ये काम करें। खास तौर पर शहर के गंदे नाले जो उन धाराओं में मिल रहे थे, उन्हें हटाने को कहा गया था, ताकि लोगों को नहाने के लिए शुद्ध पानी मिल सके, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया।’ शंकराचार्य ने कहा ‘ऐसा कहा जा रहा है कि हमने बहुत व्यवस्थाएं की हैं, लेकिन लोगों को नहाने के लिए शुद्ध पानी मिल सके, इसके लिए जो बुनियादी व्यवस्था की जानी थी, वह नहीं की गई। जब एनजीटी ने पहले आदेश दिया था, तब भी हमने महाकुंभ के अधिकारियों से कहा था कि वे हर दिन तटों से पानी के नमूने लें और रिपोर्ट सार्वजनिक करें कि पानी नहाने लायक है या नहीं, लेकिन इन लोगों ने ऐसा नहीं किया।’
शंकराचार्य ने कहा गंगा मैया की पवित्रता में कोई बाधा नहीं है, लेकिन यदि उनका भौतिक स्वरूप मैला होता है तो इसके लिए सरकार को दोष जाता है। शंकराचार्य ने यह भी कहा कि VIP कल्चर वाली इस सरकार ने सभी वीआईपी को भी मलयुक्त पानी में स्नान करा दिया। उन्होंने कहा ‘क्या यही वीआईपी कल्चर है? जिनके लिए आप पूरा इलाका खाली रखते हैं, सड़कें खाली रखते हैं, उन्हें भी आप मलयुक्त पानी में नहला रहे हैं।’
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