नई दिल्लीः जब हिमाचल के मुख्यमंत्री के लिए मंगवाया गया समोसा उनके स्टाफ को परोस दिया गया तो पूरे सूबे की सरकार में हलचल मच गई। आपको जानकर हैरानी होगी कि समोसा की हेर-फेर में सीबीआई की एंट्री भी हुई। हम आपको इस समोसा कांड के बारे में पूरी कहानी बताते हैं।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 21 अक्टूबर को सीआईडी मुख्यालय पहुंचे थे। यहां उनके लिए तीन डिब्बों में समोसे और केक मंगवाए गए थे। लेकिन हुआ ये कि ये खाद्य सामग्री सीएम तक पहुंचने की बजाय सुरक्षाकर्मियों को परोस दी गई। इसके बाद इस पूरे मामले की सीआईडी जांच शुरू की गई। सीआईडी ने जांच की कि किसकी गलती थी कि मुख्यमंत्री के लिए आए समोसे और केक सीएम के स्टाफ को परोसे गए।
जांच में पता चला है कि किस अधिकारी और कर्मचारी की गलती की वजह से सीएम के लिए लाया गया खाना सीएम के स्टाफ को परोसा गया। दिलचस्प बात यह है कि इस जांच रिपोर्ट पर एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने अपनी नोटिंग में लिखा है कि जांच रिपोर्ट में जिन लोगों के नाम हैं, उन सभी ने ‘सीआईडी विरोधी और सरकार विरोधी’ तरीके से काम किया है, जिसके कारण ये चीजें वीवीआईपी को नहीं दी जा सकीं। साथ ही यह भी लिखा है कि इन लोगों ने अपने एजेंडे के हिसाब से काम किया है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, आईजी रैंक के अधिकारी ने कार्यक्रम के संबंध में एक सब-इंस्पेक्टर को अपने कार्यालय में बुलाया और उसे शिमला सीएम के लिए कुछ खाद्य सामग्री लाने के आदेश दिए। इसके बाद ये सामग्री इंस्पेक्टर रैंक की एक महिला अधिकारी को दे दी गई। इस पूरे समोसा मामले में सभी गवाहों के बयानों के आधार पर पाया गया कि होटल रेडिसन से लाए गए इन तीन डिब्बों के बारे में केवल एक एसआई रैंक के अधिकारी को ही जानकारी थी, जिसमें सीएम के लिए खाद्य सामग्री थी। इसके बावजूद इंस्पेक्टर पूजा द्वारा इन तीनों डिब्बों को कहीं और भेज दिया गया। एसआई रैंक के अधिकारी की मौजूदगी में इन डिब्बों को खोला गया और खाद्य सामग्री सीएम के स्टाफ को परोसी गई। इंस्पेक्टर रैंक की महिला अधिकारी ने बिना किसी अधिकारी से पूछे ये सामग्री एमटी सेक्शन को सौंप दी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुख्य मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने पूरे मामले को झूठा प्रचार करार दिया है। सरकार ने ऐसी किसी जांच के आदेश नहीं दिए। नरेश चौहान ने कहा कि सरकार का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
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