नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद से इस बात के कयास लग रहे हैं कि बीजेपी और अब्दुल्ला परिवार एक दूसरे के करीब आते हुए दिख रहे। दरअसल सरकार बनाने जा रहे उमर अब्दुल्ला के हालिया बयान से यही लगता है कि मोदी से हाथ मिलाने को आतुर हो। उन्होंने गुरुवार को […]
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद से इस बात के कयास लग रहे हैं कि बीजेपी और अब्दुल्ला परिवार एक दूसरे के करीब आते हुए दिख रहे। दरअसल सरकार बनाने जा रहे उमर अब्दुल्ला के हालिया बयान से यही लगता है कि मोदी से हाथ मिलाने को आतुर हो। उन्होंने गुरुवार को कहा था कि 4 निर्दलीय का सपोर्ट मिल गया और बाकी कांग्रेस से अभी बातचीत चल रही है।
उमर के इस बयान से सबके कान खड़े हो गए कि उनके मन में आखिर क्या चल रहा है? उमर के बयानों से ऐसा लगता है कि उन्हें कांग्रेस की अब खास जरूरत नहीं है बल्कि उनकी दिलचस्पी भाजपा के साथ जाने में हैं। हालांकि उमर यह भी दोहरा रहे हैं कि वो किसी कीमत पर भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। लेकिन भाजपा समर्थकों में इस बात की खूब चर्चा चल रही कि नेशनल कांफ्रेंस पीडीपी से कई मायनों में बेहतर है। जब भाजपा पीडीपी के साथ सरकार बना सकती है तो फिर नेशनल कांफ्रेंस के साथ क्यों नहीं? पीडीपी अलग कश्मीर की बात करती है जबकि उमर अब्दुल्ला सीना ठोककर खुद को भारतीय कहते हैं।
गुरुवार को उमर अब्दुल्ला ने कहा कि समर्थन के लिए उनकी कांग्रेस से बातचीत चल रही है। अब सवाल उठने लगे हैं कि जब साथ मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ा तो फिर समर्थन की बात कहां से आ रही? इससे पहले उमर ने कहा था कि वो केंद्र से लड़कर नहीं बल्कि सहयोग से जम्मू-कश्मीर में सरकार चलाना चाहते हैं। दूसरी बात यह भी कही जा रही है कि नेशनल कांफ्रेंस अच्छे से जानती है कि दिल्ली की तरह उनकी डोर भी उपराज्यपाल के हाथ में रहने वाली है। ऐसे में भाजपा के साथ बैर सही नहीं रहेगा। तीसरी बात यह भी है कि उमर अब्दुल्ला अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इन सब वजहों से उनका भाजपा की तरफ जाने की बातें ज्यादा हो रही है।
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