नई दिल्ली. बुधवार सुबह 3.45 बजे दो महिलाओं ने केरल के सुप्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करके 800 साल पुरानी परंपरा को बदल दिया. मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी. हालांकि 40 की उम्र की महिलाओं बिंदू और कनक दुर्गा ने बुधवार को मंदिर में प्रवेश कर लिया. इसके बाद पूरे केरल में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. पूरे राज्य में बवाल और हिंसा हो गई. महिलाओं के प्रवेश के बाद मंदिर को शुद्धिकरण के लिए बंद कर दिया गया. मंदिर को दोबारा शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही खोला गया.
राज्य में महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के खिलाफ प्रदर्शन हुआ. इस दौरान भीड़ भड़क गई और हिंसा पर उतर आई. हिंसा के दौरान 55 वर्षीय चंदन उन्नीथन घायल हो गया जिसकी बाद में मौत हो गई. चंदन उन्नीथन सबरीमाला कर्म समिति का ही कार्यकर्ता था. वो भी भीड़ के साथ महिलाओं के प्रवेश के विरोध में प्रदर्शन कर रहा था. उन महिलाओं के घर भी बुधवार को तोड़फोड़ की गई. साथ ही कई हिंदूवादी संगठनों ने गुरुवार को राज्य बंद का आह्वान किया है. बता दें कि सबरीमाला में स्थापित भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है. इस मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं की एंट्री पर रोक थी. हालांकि कुछ महीनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस परंपरा को खत्म करने के आदेश दिए.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सबरीमाला मंदिर के प्रबंधक कमिटी के कार्यकर्ताओं ने, भारतीय जनता पार्टी और अन्य हिंदू संगठनों ने काफी विरोध प्रदर्शन किया. अब बुधवार को महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने की खबर आते ही फिर विरोध प्रदर्शन हुआ. राज्य सचिवालय के बाहर करीब 5 घंटों तक विरोध हुआ. इस विरोध के दौरान माकपा-भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच पत्थरबाजी हुई. इसी में चंदन घायल हुआ और अस्पताल में देर रात उसकी मौत हो गई.
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