सबरीमाला. सबरीमाला मामले की सुनवाई के दौरान नायर सर्विस सोसाइटी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील के परासरण ने हिंदू धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि ब्रह्मा ‘विधायिका’, विष्णु ‘कार्यपालिका’ और शिव ‘न्यायपालिका’ हैं. शिव अर्धनारीश्वर हैं, तभी उनका यह स्वरूप अनुच्छेद 14 जैसा है यानी सबको बराबर का अधिकार. पाराशरन ने कहा कि केरल में 90 फीसदी से ज्यादा आबादी शिक्षित है. महिलाएं भी पढ़ी लिखी हैं और केरल का समाज मातृ प्रधान है.
हिंदू धर्म को सबसे ज्यादा सहिष्णु बताते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू नियम, कायदे और परंपराएं भेदभाव नहीं करती. सती प्रथा का हिंदू धर्म और आस्था में कोई आधार नहीं रहा है. परासरण ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मेरे ऊपर दो दायित्व हैं. पहला कोर्ट में मौजूद मी लॉर्ड के आगे अपना पक्ष रखना और दूसरा उस लॉर्ड के आगे जो हम सब से ऊपर हैं.
उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि सबरीमाला मंदिर में 60 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को ही एंट्री मिले. भगवान अय्यपा स्वामी की मान्यता ब्रह्मचारी के रूप में है. वरिष्ठ वकील के परासरण ने यह भी कहा कि अगर कोर्ट सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज को सुन रहा है तो उनकी बात भी सुनना चाहिए जो परंपरा को जीवित रखने के लिए आवाज उठा रहे हैं.
वरिष्ठ वकील के परासरण ने कहा कि सबरीमाला मंदिर में जो दर्शन के लिए आ रहे हैं, वे युवा महिलाओं के साथ न आएं. बुजुर्ग महिलाएं और बच्चे अपवाद हैं. इसका मतलब है कि आप केवल ब्रह्मचर्य का पालन ही न करे बल्कि देखें भी. 12वीं सदी में बना यह मंदिर पथानामथिट्टा जिले में स्थित है और भगवान अयप्पा को समर्पित है.
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