नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट ने दुनियाभर में गिरते नदियों के जलस्तर पर गहरी चिंता व्यक्त की है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के चलते नदियों का जलस्तर काफी निचले स्तर पर पहुंच गया है। बता दें नदियां केवल पानी का स्रोत नहीं हैं, बल्कि वे जैव विविधता, कृषि […]
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट ने दुनियाभर में गिरते नदियों के जलस्तर पर गहरी चिंता व्यक्त की है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के चलते नदियों का जलस्तर काफी निचले स्तर पर पहुंच गया है। बता दें नदियां केवल पानी का स्रोत नहीं हैं, बल्कि वे जैव विविधता, कृषि और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। नदियों का सूखना स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है, जो मानव जीवन सहित सभी जीव-जंतुओं के लिए संकट का कारण बन रहा है।
जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक जल दोहन और औद्योगिकरण ने नदियों के स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित किया है। वहीं बढ़ते तापमान के कारण हिमनद पिघल रहे हैं और वाष्पीकरण की दर में वृद्धि हो रही है, जिससे नदियों में पानी की कमी हो रही है। इसके साथ ही कृषि और उद्योगों के लिए पानी का अत्यधिक उपयोग और जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा चक्र में गड़बड़ी, नदियों के जलस्तर में गिरावट का मुख्य कारण हैं।
भारत, जो गंगा, यमुना और कावेरी जैसी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण नदियों का घर है, इस संकट से अछूता नहीं है। ये नदियां न केवल देश की कृषि और औद्योगिक जरूरतों को पूरा करती हैं, बल्कि लाखों लोगों की जीवनरेखा भी हैं। नदियों के सूखने और प्रदूषण के कारण भारत में जल संकट और गहरा गया है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था और जनजीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
इस समस्या के समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। वहीं जल संसाधनों का सतत और संयमित उपयोग, वनों की कटाई पर रोक और प्रदूषण नियंत्रण जैसे उपाय इस संकट से निपटने में मददगार साबित हो सकते हैं।
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