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अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाने वाले जस्टिस एसएन ढींगरा अब करेंगे 1984 सिख दंगों की जांच

नई दिल्लीः 1984 सिख दंगों से संबंधित 186 मामलों की जांच का जिम्मा अब हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस शिव नारायण ढींगरा को सौंपा गया है. जांच के लिए जस्टिस एसएन ढींगरा की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है. रिटायर जस्टिस एसएन ढींगरा वही जज हैं जिन्होंने संसद हमले के दोषी मोहम्मद अफजल उर्फ अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई थी. 84 दंगों के मामले में भी बतौर एडिशनल जज वह सुनवाई कर चुके हैं और दंगे के एक आरोपी किशोरी लाल को जस्टिस ढींगरा ने ही फांसी की सजा सुनाई थी. जस्टिस ढींगरा हाई कोर्ट से अप्रैल 2011 में रिटायर हुए थे.

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने गृह मंत्रालय और याचिकाकर्ताओं के वकील जीएस कहलों द्वारा एसआईटी के लिए सुझाए गए नामों को हरी झंडी दे दी है. हिमाचल कैडर के 2006 बैच के आईपीएस अभिषेक दुलर और रिटायर आईपीएस राजदीप सिंह भी एसआईटी का हिस्सा होंगे. शीर्ष अदालत ने एसआईटी को दो माह में स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है. बताते चलें कि न्यायिक क्षेत्र में जस्टिस एसएन ढींगरा का नाम सम्मानपूर्वक लिया जाता है. जस्टिस ढींगरा रॉबर्ट वाड्रा जमीन विवाद मामले की जांच भी कर चुके हैं. जस्टिस ढींगरा ने साल 1988 में निचली अदालत से बतौर जज न्यायिक सेवा की शुरूआत की थी. इस दौरान वह पोटा व टाडा के स्पेशल जज भी नियुक्त किए गए. जस्टिस ढींगरा ने दिल्ली में बतौर जिला जज भी अपनी सेवाएं दी हैं. साल 2005 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का जस्टिस नियुक्त किया गया था.

साल 2002 में उन्होंने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु समेत 3 लोगों को फांसी की सजा सुनाई थी. जस्टिस ढींगरा 1997 में पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ राय को भी दोषी करार दे चुके हैं. राय पर आरोप था कि उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के लोगों को पनाह दी थी. हालांकि शीर्ष अदालत ने राय को इस मामले में बरी कर दिया था. जज रहते जस्टिस ढींगरा ने गरीबों के लिए इंसाफ की एक अलग नजीर पेश की थी. दरअसल दिल्ली के संगम विहार इलाके के रहने वाले प्रेम पाल नामक शख्स को पुलिस ने 13 झूठे मामलों में फंसाया था. मामले की सुनवाई और सबूतों के मद्देनजर जस्टिस ढींगरा ने प्रेम पाल को बरी कर दिया था. साथ ही उन्होंने पुलिस पर कार्रवाई का निर्देश भी दिया. इस दौरान उन्होंने कहा था कि यह केस उदाहरण है कि जब गरीब इंसाफ के लिए आवाज उठाता है तो पुलिस उसकी आवाज दबाने की कोशिश करती है. बतौर हाई कोर्ट जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने कहा था कि दहेज प्रताड़ना के मामले में डीसीपी स्तर के अधिकारी के निर्देश पर ही गिरफ्तारी की जाए. उनके इस फैसले के काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले थे.

 

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Aanchal Pandey

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