इंफाल: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जारी हिंसा अभी भी शांत नहीं हुई है. एक ओर इस हिंसा की आग से पूरा राज्य जल रहा है दूसरी ओर केंद्र से लेकर राज्य सरकार शांति बहाल के प्रयासों में लगी हुई हैं. इसी कड़ी में बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर के चार दिवसीय दौरे […]
इंफाल: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जारी हिंसा अभी भी शांत नहीं हुई है. एक ओर इस हिंसा की आग से पूरा राज्य जल रहा है दूसरी ओर केंद्र से लेकर राज्य सरकार शांति बहाल के प्रयासों में लगी हुई हैं. इसी कड़ी में बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर के चार दिवसीय दौरे पर थे जहां उन्होंने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था.
"My sincerest appeal to the people of Manipur is to lift the blockades at the Imphal-Dimapur, NH-2 Highway, so that food, medicines, Petrol/Diesel, and other necessary items can reach the people. I also request that Civil Society Organisations do the needful in bringing… pic.twitter.com/7b9LiDQtDM
— ANI (@ANI) June 4, 2023
हालांकि इसके बाद कुछ ज़िलों में रियायत भी दी गई थी लेकिन हिंसा पर कुछ ख़ास असर देखने को नहीं मिल रहा है. मणिपुर के कई ज़िलों में हिंसा जारी है जिसमें राजधानी इंफाल भी शामिल है. इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर प्रदर्शनकारियों से अपील की है. अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा, “मणिपुर के लोगों से मेरी विनम्र अपील है कि इंफाल-दीमापुर, एनएच-2 राजमार्ग पर लगे अवरोधों को हटा लें, ताकि भोजन, दवाइयां, पेट्रोल/डीजल और अन्य आवश्यक वस्तुएं लोगों तक पहुंच सकें। मैं सिविल सोसाइटी से भी अनुरोध करता हूं।” केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर आगे लिखा, “सहमति लाने के लिए संगठन आवश्यक कदम उठाते हैं। केवल हम मिलकर ही इस खूबसूरत राज्य में सामान्य स्थिति बहाल कर सकते हैं।”
दरअसल मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक आदेश जारी किया था. इसमें राज्य सरकार को हाईकोर्ट द्वारा मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने पर विचार करने के आदेश दिए गए थे. हालांकि बाद में इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई और क्योंकि मामला आरक्षण से जुड़ा था तो पहले से ही अनुसूचित जनजाति में शामिल नगा-कुकी समुदाय में नाराज़गी फ़ैल गई जिसमें अधिकांश लोग ईसाई धर्म को मानते हैं.
दूसरी ओर मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं. तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया जिसमें शामिल लोग मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति की मांग का विरोध कर रहे थे. ये इस दौरान दोनों समुदाय के बीच झड़प की शुरुआत हुई जिसमें अब तक पूरा राज्य जल रहा है. बता दें, नगा और कुकी वन और पर्वतीय क्षेत्र में रहते हैं जिन्हें इंफाल घाटी क्षेत्र में बसने का भी अधिकार है. वन एवं पर्वतीय क्षेत्र में मैतेई समाज को ऐसा अधिकार नहीं मिला है. नगा और कुकी राज्य के 90 फीसदी क्षेत्र में फैले हैं जिनकी आबादी 34 फीसदी है. दूसरी ओर मैतेई की कुल आबादी में हिस्सेदारी लगभग 53 फीसदी है लेकिन उन्हें दस फीसदी क्षेत्र मिला है. इतना ही नहीं 40 विधायक मैतेई समुदाय से है. इसलिए ये पूरी लड़ाई जमीन और जंगल को लेकर है.