गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला महिला अस्पताल के बाहर आश्रय पालने में सोमवार रात नवजात बच्ची पाई गई. इस बच्ची को परिजन यहां छोड़कर चले गए थे हालांकि बच्ची रखे जाने के पांच मिनट बाद ही अलार्म बज उठा और स्वास्थ्य विभाग की टीम उसे अस्पताल के अंदर ले आई. बताया जा रहा है […]
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला महिला अस्पताल के बाहर आश्रय पालने में सोमवार रात नवजात बच्ची पाई गई. इस बच्ची को परिजन यहां छोड़कर चले गए थे हालांकि बच्ची रखे जाने के पांच मिनट बाद ही अलार्म बज उठा और स्वास्थ्य विभाग की टीम उसे अस्पताल के अंदर ले आई. बताया जा रहा है कि बच्ची महज 27 दिन की है जिसकी सेहत नाज़ुक बनी हुई है. बच्ची की सेहत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट में रखा है। लावारिस हालत में बच्ची मिलने की सूचना जिला प्रशासन को भी दी गई है.
दरअसल करीब छह माह पहले महिला अस्पताल की एमसीएच विंग में आश्रय पालना लगाया गया। इस पालने का उद्देश्य उन बच्चों के जीवन की रक्षा करना है जिन्हें लोकलाज या अन्य कारणों से जन्म देने वाले लोग पाल नहीं पाते या साथ नहीं रखना चाहते हैं. ऐसे बच्चों को ज्यादातर मामलों में लावारिस हालत में छोड़ दिया जाता है. ऐसे में उन बच्चों के जीवन पर संकट खड़ा हो जाता है. इसी समस्या को देखते हुए अस्पताल की SCH विंग में इस पालने की स्थापना की गई है.
बता दें, सोमवार(13 मार्च) की रात वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. अंशूरानी की इमरजेंसी ड्यूटी थी जब उन्हें 9:15 बजे अचानक इमरजेंसी में अलार्म सुनाई दिया। यह अलार्म संकेत था कि कोई आश्रय पालना में किसी मासूम को रख गया है. ड्यूटी पर तैनात डॉ. अंशूरानी तत्काल सिक्योरिटी गार्ड फिरोज मंसूरी के साथ पालने के पास पहुंची जहां उन्हें एक नवजात बच्ची रोती हुई दिखी. इस बच्ची की तबियत खराब लग रही थी जिसे उन्होंने तुरंत इलाज के लिए एसएनसीयू में भिजवाया। मामले की जानकारी एसआईसी डॉ. जयकुमार व क्वालिटी मैनेजर डॉ. कमलेश को दी गई. बालरोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष एसएनसीयू वार्ड में तैनात थे जो अपनी टीम के साथ बच्ची का इलाज कर रहे हैं।
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