लखनऊ। अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर अगस्त 2024 में बनकर तैयार होने वाला है, इस दौरान मकर संक्रांति 2024 को सूर्य के उत्तरायण होते ही भगवान श्री रामलला अपने मूल गर्भ गृह में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। बता दें, रामलला के गर्भगृह में पहले से एक मूर्ति 1949 से स्थापित है, वहीं […]
लखनऊ। अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर अगस्त 2024 में बनकर तैयार होने वाला है, इस दौरान मकर संक्रांति 2024 को सूर्य के उत्तरायण होते ही भगवान श्री रामलला अपने मूल गर्भ गृह में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। बता दें, रामलला के गर्भगृह में पहले से एक मूर्ति 1949 से स्थापित है, वहीं दूसरी मूर्ति के रूप में नई मूर्ति का निर्माण नेपाल की शालिग्राम शिलाओं से किया जाएगा।
नेपाल से लाई जा रही दोनों शालिग्राम शिलाएं अयोध्या पहुंच गई है। इस दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान राम और माता सीता के जयकारे लगाए, इन शिलाओं को कारसेवक पुरम में रखा गया। वहीं , इसके आस – पास पुलिस प्रशासन को तैनात किया गया है।
बता दें, दोनों शिलाएं जैसे ही अयोध्या पहुंची मौके पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और अन्य हिंदू संगठनों के लोगों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया, बताया जा रहा है कि इन शिलाओं को पहले साधु-सतों के द्वारा पूजा- अर्चना की जाएगी, इसके बाद ही इन्हें राम मंदिर के लिए भेंट किया जाएगा। शिलाओं के पूजन कार्यक्रम में करीब सौ महंत मौजूद रहेंगे।
इस दौरान रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने मुर्तियों को पहुंचने पर खुशी जताते हुए कहा कि गंडक नदी में मिलने वाली शालिग्राम शिलाएं पूजित होती हैं। इनकी पूजा सभी मंदिरों में की जाती है। राम मंदिर में स्थापित होने वाली मूर्तियां अगर शालिग्राम शिलाओं बनेगी तो यह अच्छी बात है।
नेपाल के मुस्तांग जिले में मुक्तिनाथ के करीब एक स्थान पर गंडकी नदी पाए गए करोड़ों वर्ष पुराने विशेष चट्टानों से पत्थरों के दो बड़े टुकड़े पिछले बुधवार को नेपाल से रवाना किए गए थे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया कि ये शालिग्राम शिलाएं छह करोड़ साल पुरानी हैं।
विशाल शिलाएं दो अलग-अलग ट्रकों पर नेपाल से अयोध्या पहुंची। जिसमें एक पत्थर का वजन 26 टन और दूसरे का वजन 14 टन है। इस पत्थर पर बनाई गई भगवान राम की बाल रूप की मूर्ति को राम मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा, जो अगले साल जनवरी में मकर संक्रांति तक बनकर तैयार कर लिया जाएगा। रामलला के मंदिर का निर्माण तेजी के साथ किया जा रहा है। मंदिर के निर्माण के लिए वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है।