खगड़िया. रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. जहां अब शिक्षा मंत्री के खिलाफ बिहार के कोर्ट में परिवाद दायर हुआ है. ये परिवाद आज (19 जनवरी) मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में दायर करवाया है. बयान पर बवाल दरअसल ये […]
खगड़िया. रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. जहां अब शिक्षा मंत्री के खिलाफ बिहार के कोर्ट में परिवाद दायर हुआ है. ये परिवाद आज (19 जनवरी) मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में दायर करवाया है.
दरअसल ये परिवाद दायर करवाने वाले भाजपा के ही पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेश प्रसाद हैं जिन्होंने शिक्षा मंत्री के रामचरितमानस वाले बयान से आहत होकर ये कदम उठाया है. उन्होंने कहा है कि रामचरितमानस जैसे पवित्र ग्रंथ पर इस तरह के बयान को सनातनी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. यह ग्रंथ समस्त हिंदुओं का पथ प्रदर्शक है. ऐसा कहकर शिक्षा मंत्री अपनी कुंठित मानसिकता का परिचय दे रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश सरकार राष्ट्रविरोधी काम कर रही है. शिक्षा मंत्री के इस बयान से साबित होता है कि वह अशिक्षित हैं. इसके अलावा उन्होंने विवादित बयान को लेकर शिक्षा मंत्री के दिए गए बयान से धार्मिक भावना आहत होने और राजनीतिक लाभ के लिए सामाज को बाटने की साज़िश की बात कही.
बता दें, भाजपा नेता की शिकायत पर धारा 153-A, 153-B ,295-A और 505 के तहत परिवाद दायर किया गया है। गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री के इस बयान के बाद से ही बिहार का सियासी पारा गर्म है. एक ओर भाजपा लगातार शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही है दूसरी ओर जदयू मंत्री पर अपना बयान वापस लेने का दबाव बना रही है. लेकिन इन सब बवाल के बीच भी शिक्षा मंत्री अपने बयान पर अड़े हुए हैं.
रामचरितमानस पर दिए गए बयान को लेकर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने शु्क्रवार को प्रो चंद्रशेखर की मौजदूगी में ही कह दिया था कि, “पार्टी चंद्रशेखर के साथ पूरी तरह खड़ी है। साथ ही उन्होंने चंद्रशेखर को समाजवादियों की राह पर चलने वाला नेता बताते हुए, उन्हें कमंडलवासियों को मंडलवासियों के विरोध में लड़ने वाला बताया। अध्यक्ष ने दिवंगत शरद यादव के संकल्प को भी याद करते हुए कहा कि कमंडल के सामने मंडल को हराने नहीं दिया जाएगा।
बता दे चंद्रशेखर बुधवार को पटना में स्थित नालंदा ओपेन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पहुंच थे। जहां उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए, रामचरितमानस के अलावा मनुस्मति और गोलवलकर की किताब को समाज में विभाजन करने और नफरत फैलाने वाली किताब बताया था, साथ ही प्रोफेसर ने रामचरितमानस के कई चौपाई का अर्थ बताते हुए इसे को समाज में बांटने वाला ग्रंथ बताया था।
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