अयोध्या: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया है। उनके बयान पर रामनगरी अयोध्या के संतो ने नाराजगी जाहिर की है और कहा – “स्वामी प्रसाद मौर्य पहले रामचरितमानस को पढ़ें।” वहीं इस विवाद को लेकर तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा- “किसी भी […]
अयोध्या: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया है। उनके बयान पर रामनगरी अयोध्या के संतो ने नाराजगी जाहिर की है और कहा – “स्वामी प्रसाद मौर्य पहले रामचरितमानस को पढ़ें।” वहीं इस विवाद को लेकर तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा- “किसी भी व्यक्ति को रामचरितमानस पढ़ने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है। अगर स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस की चौपाई का एक भी अर्थ बताते हैं तो मैं जानूं, अगर नहीं बता सकते हैं, तो उन्हें रामचरितमानस पर उंगली उठाने का कोई हक नहीं है।परमहंस दास ने चेतावनी देते हुए कहा – अगर वो उसके बाद भी उंगली उठाएंगे, तो इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा।
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए कहा – स्वामी प्रसाद मौर्य पहले भाजपा में थे, फिर उन्हें भगाया गया तो वो समाजवादी पार्टी में चले गए। वह इधर से उधर घूमते है। सत्येंद्र दास ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से अपील की है कि भगवान को ना मानने वाले और रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले व्यक्ति को तत्काल सपा से बाहर निकाल दे, अन्यथा सपा पर भी इसकी जिम्मेदार होगी। भगवान राम को मानने वाले लोग सपा से दूरी बना लेंगे।
सत्येंद्र दास ने कहा – जनता ने स्वामी प्रसाद मौर्य को नकार दिया है। उन्होने चुनाव लड़ा और वे हार गए। रामचरित मानस में भगवान राम के चरित्र का वर्णन है। ऐसे आदर्श पुरुष भगवान श्रीराम के चरित्र को प्रतिबंधित करने की मांग स्वामी प्रसाद मौर्य कर रहे हैं, उनके बराबर मूर्ख कोई नहीं है।
परमहंस दास ने कहा – जिसकी इच्छा हो वो रामचरितमानस पढ़े।अगर इच्छा नहीं है तो न पढ़े,लेकिन बिना जाने टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। जहब और पंथ के विषय में बात करने की औकात स्वामी प्रसाद मौर्य की नहीं है। स्वामी प्रसाद मौर्य की बयानबाजी ख़राब है।उन्होंने कहा कि वह अपने बयान को पहले दुरुस्त करें। अगर उनको लगता है कि वो रामचरितमानस के विषय में कुछ जानते हैं, तो मैं शास्त्रार्थ के लिए उन्हें आमंत्रित करना चाहता हूं। फिर जहां चाहे वो शास्त्रार्थ कर सकते हैं। परमहंस दास ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर बिना जाने वो रामचरितमानस पर उंगली उठाएंगे, तो फिर उसका परिणाम भुगतने के वो लिए तैयार रहें।
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