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चेतना को बोरवेल से बहार निकालने में प्रशासन फेल, पाइलिंग मशीन मांगवाने की तैयारी

चेतना को बचाने के अभियान को झटका लगा है। वजह यह है कि उसे देसी तकनीक से बाहर निकालने का अभियान रोक दिया गया है, क्योंकि कैमरा अंदर ही फंस गया है। सुबह से ही एनडीआरएफ की टीम रिंग रॉड और अम्ब्रेला तकनीक का इस्तेमाल कर बच्ची को बोरवेल से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी, जो नाकाम रही।

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Kotputli Borewell Accident
  • December 24, 2024 10:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 12 hours ago

जयपुर: राजस्थान के कोटपूतली में बोरवेल में फंसी 3 साल की चेतना 27 घंटे से भूखी-प्यासी है। अभी तक एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को रेस्क्यू ऑपरेशन में कोई सफलता नहीं मिल पाई है। परिजनों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने में कई घंटे लगा दिए। शुरुआत में 15 लोहे की छड़ों, जिनमें से प्रत्येक 10 फीट लंबी थी, का उपयोग करके चेतना को बाहर निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन इन प्रयासों के बावजूद चेतना को बाहर नहीं निकाला जा सका।

कोशिश जारी

इस बीच चेतना को बचाने के अभियान को झटका लगा है। वजह यह है कि उसे देसी तकनीक से बाहर निकालने का अभियान रोक दिया गया है, क्योंकि कैमरा अंदर ही फंस गया है। सुबह से ही एनडीआरएफ की टीम रिंग रॉड और अम्ब्रेला तकनीक का इस्तेमाल कर बच्ची को बोरवेल से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी, जो नाकाम रही। बाद में उसके कपड़ों में हुक लगाकर बच्ची को बाहर निकालने की कोशिश की गई, लेकिन वह 30 फीट तक ही ऊपर आ पाई और कैमरा बीच में ही कहीं फंस गया।

पाइलिंग मशीनें मंगवाएगा प्रशासन

अब फरीदाबाद से पाइलिंग मशीनें मंगवाई जा रही हैं, जिसके बाद बोरवेल के बराबर गड्ढा खोदकर उस तक पहुंचा जाएगा। एडीएम ओम प्रकाश सरन ने बताया कि पिछले 24 घंटे से जिस तकनीक से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था, उसकी सफलता दर काफी ज्यादा थी। लेकिन यहां यह काम नहीं कर रही है। ऐसे में अब प्रशासन पाइलिंग मशीनें मंगवाएगा और दूसरे विकल्प शुरू करेगा। चेतना 120 फीट पर फंसी हुई है, इसलिए दूसरी तकनीक से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जाएगा।

छुट्टी के चलते मौके पर नहीं पहुंची डीएम

कोटपूतली-बहारोड के कलेक्टर कल्पना दुर्घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं। जानकारी के अनुसार वे छुट्टी पर थीं। उनकी अनुपस्थिति में वैकल्पिक उपाय खोजने में देरी के बारे में पूछे जाने पर एडीएम ओमप्रकाश ने दावा किया, “हम बच्ची को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।”

मासूम के पिता ने ही खोदा था बोरवेल

मासूम के पिता भूपेंद्र ने बडयाली ढाणी में अपने घर के बाहर बोरवेल खोदा था। 700 फीट तक खोदने के बाद भी जब उन्हें पानी नहीं मिला तो उन्होंने उसे ढकने की बजाय खुला ही छोड़ दिया। सोमवार दोपहर करीब डेढ़ बजे उनकी दो बेटियां तीन साल की चेतना और आठ साल की काव्या बोरवेल के पास खेल रही थीं, तभी चेतना का पैर बोरवेल के पास फिसल गया। करीब 15 दिन पहले राजस्थान के दौसा में आर्यन की बोरवेल में गिरने से मौत के बाद राज्य सरकार ने बोरवेल बंद करने की एडवाइजरी जारी की थी, इसके बावजूद बोरवेल खुला था और इसे खोदने वाले की बेटी उसमें फंस गई।

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