जयपुर : देश के सर्वोच्च न्यायलय ने अब राजस्थान सरकार को बड़ी राहत दी है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें राज्य में ठोस और तरल कचरे के कथित अनुचित प्रबंधन को लेकर सरकार को मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था. राजस्थान […]
जयपुर : देश के सर्वोच्च न्यायलय ने अब राजस्थान सरकार को बड़ी राहत दी है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें राज्य में ठोस और तरल कचरे के कथित अनुचित प्रबंधन को लेकर सरकार को मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था. राजस्थान सरकार को मुआवजे के रूप में 3,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब राजस्थान सरकार को बड़ी राहत मिली है. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सरकार की ओर से पेश सभी दलीलों पर ध्यान दिया. इसके बाद उन्होने एनजीटी के 15 सितंबर के आदेश पर रोक लगा दी.राजस्थान सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा कि राजस्थान ने इस संबंध में कदम उठाए हैं. बता दें, राज्य सरकार ने अंतरिम आदेश को रद्द करने का आग्रह किया था.
अपने आदेश में एनजीटी ने प्रदूषण में योगदान देने और संवैधानिक कर्तव्यों में फेल होने के लिए राज्य के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था. इसके अलावा राज्य में ठोस और तरल कचरे के कथित अनुचित प्रबंधन की भी शिकायत की थी. जिसके चलते पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 3,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था. बता दें, आधा दर्जन जिलों की सीमेंट या अन्य फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी से पर्यावरण को लगातार हो रहे नुकसान को दूर करने को लेकर ये कदम उठाया गया था. इन जिलों में जयपुर, नीमराना, भिवाड़ी, अलवर, भीलवाड़ा, पाली का नाम शामिल है. वहीं 351 नदी के हिस्सों का प्रदूषण, वायु गुणवत्ता के मामले, अवैध रेत खनन इत्यादि मामलों को लेकर भी शिकायत की गई थी.
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