जयपुर। राजस्थान के 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा ने 25 से ज्यादा सीटों पर सियासी गणित बिगाड़ दिया था। इन सीटों पर मायावती की बहुजन समाज पार्टी को जितने वोट मिले थे, उतने ही वोटों से बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों की हार और जीत सुनिश्चित हुई थी। अब मायावती ने पिछले कुछ दिनों से ताबड़तोड़ राजस्थान के दौरे करने शुरू किए हैं। राजस्थान के राजनीतिक माहौल में फिर कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या मायावती फिर से 2018 की तरह यहां के सियासी समीकरणों को बिगाड़ सकती हैं या नहीं। वहीं इस चुनाव में मायावती ने ऐसा सियासी दांव भी चला है, जिसका असर आगामी लोकसभा चुनावों पर सीधे तौर पर पड़ेगा।
राजस्थान चुनाव आयोग के अनुसार 2008 में बहुजन समाज पार्टी ने राजस्थान में लगभग साढ़े सात फीसदी वोट हासिल किए थे और 6 विधानसभा सीटें जीती थीं। 2013 में बहुजन समाज पार्टी का वोट प्रतिशत आधे से भी कम करीब साढ़े तीन फीसदी के आसपास पहुंचा था और सीटों में भी 50 फ़ीसदी की गिरावट आई थी। 2013 में बहुजन समाज पार्टी के राजस्थान में महज तीन उम्मीदवार ही चुनाव जीतकर विधायक बने थे।
हालांकि 2018 में बसपा के वोट प्रतिशत में केवल आधा फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई जो चार प्रतिशत तक पहुंच गई, लेकिन इस बार छह उम्मीदवार जीत कर विधानसभा पहुंचे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2018 में ही लगभग दो दर्जन से अधिक ऐसी सीटें थीं, जहां पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों की वजह से भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की हार जीत तय हुई थी।
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