नई दिल्ली.Rjan Rao on Dengue Cases- दक्षिण हरियाणा के कांग्रेस प्रभारी राजन राव (Rajan Rao) ने राज्य में डेंगू के प्रकोप को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार की कड़ी आलोचना की। 19 अक्टूबर 2021 हरियाणा में डेंगू के मामलों की संख्या 2400 को पार कर गई, जबकि पिछले तीन वर्षों से प्रति वर्ष 2000 से नीचे डेंगू के मामले रहे है।
डेंगू को फैलने से रोका जा सकता है। डेंगू मच्छरों के काटने से होती है जो रुके हुए पानी में पैदा होते हैं। हरियाणा के लोगों को पर्याप्त स्वच्छता, जल निकासी के साथ-साथ पर्याप्त गार्बेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं मिलने के कारण राज्य में डेंगू का प्रकोप फेल रहा है। हरियाणा के लोग, जो पहले से ही कोरोना वायरस की दूसरी घातक लहर के प्रभाव से जूझ रहे हैं, एक और बीमारी के प्रकोप से निपटने के डर से बच सकते थे, यदि राज्य सरकार ने केवल अपना न्यूनतम काम किया होता और अपने लोगों को जरूरी आवश्यकताए प्रदान की होती।
पिछले साल डेंगू के मामलों की संख्या 1377 थी जो इस साल लगभग दोगुनी होकर 2427 हो गई है। राज्य के अधिकारी इस साल डेंगू फैलने के लिए भारी बारिश को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लेकिन अगर राज्य ने अपना काम किया होता और राज्य में पर्याप्त जल निकासी व्यवस्था का निर्माण किया गया होता तो बारिश का पानी जमा ही नहीं होता जिससे मच्छरों के प्रजनन के लिए उपजाऊ जमीन उपलब्ध होती। सबसे ज्यादा प्रभावित जिले पंचकुला, सिरसा और गुरुग्राम हैं।
राज्य ने डेंगू के बारे में जागरूकता अभियान चलाने में भी अपने कर्तव्य की उपेक्षा की क्योंकि वे केवल कोरोनावायरस टीकाकरण पर केंद्रित थे, जो कि राज्य में धीमी गति से किया जा रहा है। हरियाणा में बीजेपी सरकार यह भूल गई है कि कोविड के अलावा और भी बीमारियां हैं जो कुछ मामलों में जानलेवा भी साबित हो सकती है। रुके हुए पानी के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल किया जा सकता थ। ठोस कचरे का उचित ढंग से निपटान करना, घरो में पानी के कंटेनरों को सही तरीके से ढकना, खाली करना और साफ करना और ऐसे कपड़ों का उपयोग करना जो शरीर को पूरी तरह से ढके।
Rajan Rao ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जीवन स्तर को ऊपर उठाना और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना राज्य का कर्तव्य है। लेकिन राज्य सरकार ने अपने नागरिकों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया है और शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने में लगी हुई है। लगातार बीमारी का प्रकोप भी लोगों पर भारी आर्थिक बोझ डाल रहा है। भारत में, 35% से कम आबादी के पास किसी न किसी रूप में स्वस्थ्य बीमा है। देश में अगर 100 रुपये स्वस्थ्य पर खर्च हो रहा है तो उसका 62% आम जनता की जेब से जा रहा है, जिस कारण हर साल करीब 6 करोड़ 30 लाख लोग को गरीबी की ओर धकेला जा रहा है।
मनोहर लाल खट्टर सरकार अपनी उदासीनता के साथ हरियाणा में सार्वजनिक स्वास्थ्य की स्थिति, कोविड के दौरान राज्य में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं की कमी और डेंगू जैसी बिमारी के मौजूदा प्रकोप के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। कोई भी राजनेता कोविद की दूसरी लहर के दौरान प्रदर्शित होने वाली आपदा के बाद इस्तीफा दे देता, लेकिन हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अपने पद पर बने रहेंगे और अपनी निष्क्रियता से राज्य में लोगों के जीवन को खतरे में डालते रहेंगे।
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