पंजाब सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को लेकर कहा है कि राज्य सरकार उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दे सकती है. इस मामले में सरकार ने तर्क दिया है कि किसी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को संविधान शहीद कहने की अनुमति नहीं देता है.
चंडीगढ़. पंजाब सरकार किसी भी स्वतंत्रता सैनानी को पंजाब सरकार शहीद का दर्जा नहीं देगी. यह बात पंजाब सरकार ने वकील द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा है. सरकार ने इस मामले में तर्क देते हुए कहा है कि हमारा संविधान किसी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को शहीद कहने की अनुमति नहीं देता है. गौरतलब है कि इस मामले में तर्क देते हुए सरकार ने संविधान का नियम बताते हुए, साल 2012 में दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल एक याचिका पर कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कही है.
दरअसल पंजाब सरकार से आर.टी.आई.एक्टिविस्ट एडवोकेट एच.सी. अरोड़ा ने आधिकारिक शहीदों की सूची की एक मांग की. एडवोकेट एच.सी. अरोड़ा को सरकार ने जवाब देते हुए पत्र लिखकर कहा कि देश का संविधान किसी को भी शहीद कहने की अनुमति नहीं देती है. इसके साथ ही सरकार ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 18 के मुताबिक, कोई भी राज्य किसी को भी आधिकारिक रूप से शहीद का दर्जा नहीं दे सकता है. पंजाब सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (स्वतंत्रता सेनानी शाखा) की तरफ से अधीक्षक के द्वारा यह जवाब पत्र भेजकर लिखा गया था.
इसके साथ ही पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार सभी शहीदों का पूरी तरह सम्मान करती है. इसके साथ ही राज्य स्तर के कार्यों पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित जरूर की जाती है. गौरलतब है कि बिरेंद्र सांगवान नामक शख्स की दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका को लेकर कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए पंजाब सरकार ने यह जवाब दिया है. दरअसल बिरेंद्र सांगवान ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर महान राष्ट्रीय नायकों जैसे भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को केंद्र सरकार से शहीदों का दर्जा देने का अनुरोध किया था. ऐसे में कोर्ट ने याचिका का कोई वैधानिक आधार नहीं मानते हुए उसे खारिज कर दिया था.
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