गोवा में नहीं थम रहा जिस्मफरोशी का गोरकधंधा, ट्रांसजेंडर भी हैं शिकार

गोवा: गोवा… देश का वो राज्य जहाँ पर विदेशों से लोग घूमने आते हैं। लेकिन इस राज्य से जुड़ा एक काला सच भी है जिसे कोई झुठला नहीं सकता। आपको बता दें, इस मामले में एक NGO ने कहा है कि अक्टूबर के बाद से राज्य द्वारा वाणिज्यिक यौन शोषण के किसी भी पीड़ित को बचाया नहीं गया है और इससे राज्य में जिस्मफरोशी में इज़ाफ़ा हुआ है। NGO ने कहा कि देश भर से कई ट्रांसजेंडर गोवा आते हैं क्योंकि उनकी डिमांड लगातार बढ़ रही है। एनजीओ ने कहा कि राज्य में रहने वाले लगभग 7,000 महिलाएँ, पुरुष और ट्रांसजेंडर व्यावसायिक जिस्मफरोशी के काले धंधे का शिकार हैं।

 

कसीनो, बार और होटलों की आड़ में जिस्मफरोशी

मिली जानकारी के मुताबिक, बेहतर नौकरी का झांसा देकर लड़कियों को कसीनो, बार और होटलों में बुलाया जाता है। इसके बाद, उन्हें वेश्यावृति व सेक्सुअल गतिविधियों में धकेल दिया जाता है। इस काले धंधे में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्होंने कहा कि गोवा में तस्करी की रैंकिंग तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पीड़ितों को बचाने और ग्राहकों और तस्करों पर मुकदमा चलाने के लिए निरंतर पुलिस कार्रवाई की जरूरत है। अगर पुलिस ने अभी कार्रवाई नहीं की तो ये अपराध तेजी से बढ़ेंगे।

दलाल कमाते हैं बड़ा मुनाफा

आपको बता दें, आखिरी रेस्क्यू अक्टूबर 2022 में किया गया था। लड़कियों की तस्करी गोवा के बाहर से की जाती है और एक हफ्ते से लेकर एक महीने तक कहीं भी लाया जाता है और पेशे के तौर पर उनका शोषण किया जाता है। दलाल प्रति कस्टमर 10,000 रुपये से 25,000 रुपये के बीच चार्ज लेते हैं। दलाल प्रत्येक लड़की से प्रति दिन लगभग 1 लाख रुपये कमाता है लेकिन लड़कियों को प्रति कस्टमर 1500 रुपये से कम का भुगतान किया जाता है।

 

ज्यादातर औरतों का ताल्लुक बंगाल के रेड लाइट से

आपको बता दें, कई पुरुष महिलाओं के वेश में आते हैं और कस्टमर की मांग करते हैं। मापुसा ने पिछले 3 वर्षों में 7 लड़कियों से 70 लड़कियों की वृद्धि देखी है। वेश्यावृत्ति में शामिल ज्यादातर लड़कियाँ व महिलाएँ बंगाल के रेड लाइट एरिया से आती हैं। संगठित तरीके से बंगाल से लड़कियों और महिलाओं की तस्करी की जाती है।

पुलिस को लेकर उठाए गए मुद्दे

पुलिस कार्रवाई की कमी ने इस धंधे में शामिल लोगों को यह संदेश दिया है कि गोवा एक कमजोर राज्य है। जहाँ पर यौन तस्करी तेजी से बढ़ रही है और संगठित हो रही है। तस्करों के खिलाफरमामला दर्ज करने से इन गतिविधियों पर रोक लगाई जाएगी। ऐसे में यह सोचना कहाँ तक सही है कि पुलिस वेश्यावृत्ति में लिप्त लोगों को उनकी मर्जी से छुड़ा नहीं सकती?

 

 

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