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मोदी और नीतीश के चाणक्य बनकर राजनीतिक अखाड़े में कूदे PK, जानें रणनीतिकार ने राजनेता बनने तक का सफर

पटनाः एक समय पर बीजेपी और जेडीयू समेत अन्य राजनीतिक दलों के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर आज राजनेता बन चुके हैं। प्रशांत किशोर ने बुधवार (2 अक्टूबर) को अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर दिया है, जिसका नाम जन सुराज पार्टी है। पीके ने अपनी पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर मनोज भारती को चुना है। आज हम आपको पीके की रणनीतिकार से राजनेता बनने तक के सफर के बारे में बताएंगे।

प्रशांत किशोर ने छोड़ी UN की नौकरी

प्रशांत किशोर बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव से ताल्लुक रखते हैं। उनके परिवार में उनके पिता डॉक्टर थे। उनके पिता ही नहीं, बल्कि प्रशांत किशोर की पत्नी भी डॉक्टर हैं। उनका एक बेटा भी है। प्रशांत किशोर ने अपने पिता की जहां भी पोस्टिंग हुई, वहां सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की। पीके ने पटना के साइंस कॉलेज से और फिर हिंदू कॉलेज से पढ़ाई की। तबीयत खराब होने पर वे वापस लौट आए लेकिन उन्होंने लखनऊ से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

प्रशांत किशोर ने सिर्फ भारत में ही पढ़ाई नहीं की, बल्कि वे अमेरिका और साउथ अफ्रीका में भी रहे। उन्होंने बताया कि वे हर 2 साल में पढ़ाई छोड़ देते थे। उन्होंने 12वीं के बाद 3 साल का गैप लिया और फिर ग्रेजुएशन के बाद 2 साल के लिए पढ़ाई छोड़ दी। किसी तरह उन्हें यूएन में नौकरी मिल गई। प्रशांत और उनकी पत्नी की मुलाकात यूएन के एक स्वास्थ्य कार्यक्रम के दौरान हुई थी।

BJP से लेकर DMK के सलाहकार रह चुके पीके

2014 में  प्रशांत किशोर ने पीएम मोदी की सरकार बनाने में मदद की, जिसके बाद पीके ने नीतीश कुमार के राजनीतिक अभियान की कमान संभाली। चुनाव जीतते ही नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को अपना सलाहकार बना लिया। इसके बाद 2016 में कांग्रेस ने पंजाब चुनाव के लिए पीके को नियुक्त किया। लगातार दो बार हारने के बाद कांग्रेस फिर सत्ता में आई। पंजाब के बाद कांग्रेस ने यूपी चुनाव के लिए भी पीके को नियुक्त किया, लेकिन यहां उसे असफलता का सामना करना पड़ा।

साल 2017 में ही जगनमोहन रेड्डी ने पीके को अपना सलाहकार बना लिया। पीके ने उनके लिए कई चुनाव अभियान तैयार किए और वाईएसआरसीपी 175 में से 151 सीटें जीतकर सत्ता में लौटी। इसके बाद 2020 में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पीके को नियुक्त किया। यहां आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की। उसके बाद साल 2021 में पीके ने तृणमूल कांग्रेस के सलाहकार के तौर पर काम किया, जहां ममता बनर्जी ने 294 में से 213 सीटें जीतीं। इसी तरह साल 2021 में प्रशांत किशोर ने डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के लिए रणनीतिकार के तौर पर काम किया।  पार्टी ने 159 सीटें जीतीं और एमके स्टालिन पहली बार तमिलनाडु में सीएम बने।

अब पीके ने अपनी राजनीतिक पार्टी घोषित कर बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि राजनीति के चाणक्य की नीतियां उन्हें और बिहार की जनता को कितना फायदा पहुंचाती हैं ।

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Neha Singh

निर्भीक और बेबाक हूं। शब्दों से खेलना अच्छा लगता है। देश दुनिया की व्यवस्थाएं चाहे वो अच्छी हो या बुरी जनता तक बिना किसी परत के पहुंचाना चाहती हूं, इसलिए पत्रकार भी हूं। राजनीति में रुचि है, साथ ही कभी कभी इतिहास के पन्ने भी खोल कर देखती रहती हूं।

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