नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदल दिया है। केंद्रीय गृह अमित शाह ने जानकारी देते हुए बताया कि पोर्ट ब्लेयर का नया नाम श्री विजयपुरम होगा। उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट में बताया कि पोर्ट ब्लेयर का नाम क्यों बदल गया है। क्या आप जानते है कि पोर्ट […]
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदल दिया है। केंद्रीय गृह अमित शाह ने जानकारी देते हुए बताया कि पोर्ट ब्लेयर का नया नाम श्री विजयपुरम होगा। उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट में बताया कि पोर्ट ब्लेयर का नाम क्यों बदल गया है। क्या आप जानते है कि पोर्ट ब्लेयर का नाम क्यों बदला गया है. पोर्ट ब्लेयर का चोल साम्राज्य से क्या गहरा नाता था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जानकारी देते हुए बताया कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नया नाम श्री विजयपुरम होगा। अमित शाह ने कहा कि देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्त कराने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित हैं। आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।
देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।
‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को…
— Amit Shah (@AmitShah) September 13, 2024
गृह मंत्री अमित शाह ने पोस्ट में लिखा कि ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वतंत्रता संग्राम और उसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है। इस द्वीप का हमारे देश की स्वतंत्रता और इतिहास में अद्वितीय स्थान है। चोल साम्राज्य में नौसैनिक अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है। यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा मां भारती की आजादी के लिए प्रथम तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा मां भारती की आजादी के लिए संघर्ष का स्थल भी है।
अंडमानऔर निकोबार द्वीप समूह का इतिहास बहुत ही पुराना है. इसका इतिहास न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है, बल्कि चोल साम्राज्य के समय से ही यह द्वीप एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता आया है। उस समय नौसैनिक का अड्डा बना रहा था । चोल साम्राज्य के दौरान यह द्वीप भारतीय समुद्री व्यापार और सैन्य रणनीतियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। चोल राजाओं की नौसेना ने यहां से दूर-दूर तक समुद्री अभियान चलाए थे। इस द्वीप की भौगोलिक स्थिति के कारण यह भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग और सैन्य अड्डा रहा है। इसके अलावा हाल के वर्षों में यह क्षेत्र पर्यटन और विकास के मामले में भी तेजी से उभर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में अंडमान और निकोबार का दौरा किया था। उस समय उन्होंने तीन द्वीपों के नाम बदलने का ऐलान किया था। उन्होंने नील द्वीप,हैवलॉक द्वीप और रॉस द्वीप के नाम बदले थे। पीएम मोदी ने कहा था कि हैवलॉक द्वीप को अब स्वराज द्वीप, नील द्वीप को शहीद द्वीप और रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप के नाम से जाना जाएगा।
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