नई दिल्लीः यौन उत्पीड़न के एक मामले पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पोक्सो एक्ट के तहत नाबालिग के सामने कपड़े उतारना और सेक्स करना यौन उत्पीड़न के बराबर है और दंडनीय अपराध है। दरअसल, कोर्ट ने यह फैसला एक की व्यकित की याचिका पर […]
नई दिल्लीः यौन उत्पीड़न के एक मामले पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पोक्सो एक्ट के तहत नाबालिग के सामने कपड़े उतारना और सेक्स करना यौन उत्पीड़न के बराबर है और दंडनीय अपराध है। दरअसल, कोर्ट ने यह फैसला एक की व्यकित की याचिका पर सुनाया, व्यक्ति ने उसके ऊपर लगे पोक्सो अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था।
व्यक्ति पर आरोप था कि उसने कमरे का दरवाजा बंद किए बिना एक लॉज में नाबालिग की मां के साथ संबंध बनाया, जिसे लड़के ने देख लिया। व्यक्ति ने लड़के की पिटाई की क्योंकि उसने इस पर सवाल उठाया था। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब कोई व्यक्ति किसी बच्चे को अपना नग्न शरीर दिखाता है, तो यह बच्चे का यौन उत्पीड़न करने के इरादे से किया गया कृत्य है।
बच्चे के सामने यौन संबंध बनाना अपराध है। कोर्ट ने कहा कि इसलिए, POCSO अधिनियम की धारा 11(i) (यौन उत्पीड़न) के साथ-साथ धारा 12 (यौन उत्पीड़न के लिए दंड) के तहत दंडनीय अपराध लागू होगा। कोर्ट ने कहा, “इस मामले में आरोप यह है कि आरोपी व्यक्तियों ने कपड़े उतारकर, कमरे को बंद किए बिना ही यौन संबंध बनाए और नाबालिग को कमरे में प्रवेश करने दिया, जिसके कारण नाबालिग ने यह कृत्य देखा।”
बताया जा रहा है कि व्यक्ति ने बच्चे को पीटा और बच्चे की मां ने उसे रोकने की कोशिश भी नहीं की, इसलिए धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने की सजा) के तहत भीअपराध किया गया। उच्च न्यायालय ने कहा कि व्यक्ति को पोक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 323 और 34 के तहत अपराधों के लिए सजा मिलेगी।
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