PM Narendra Modi in Gujarat: पीएम नरेद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात के वस्त्राल में प्रधानमंत्री श्रम योगी पेंशन योजना लॉन्च की. इस दौरान उनके साथ राज्य के सीएम विजय रुपाणी सहित कई वरिष्ठ पार्टी नेता मौजूद थे.
अहमदाबाद. पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात के वस्त्राल में असंगठित क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी पेंशन योजना को लॉन्च किया. इस दौरान उनके साथ मंच पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी सहित कई वरिष्ठ पार्टी नेता मौजूद थे. इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने 11,51,000 लाभार्थियों तक 13,58,31,918 रुपये की धनराशि सीधे पेंशन खातों में ट्रांसफर की.
पिछली सरकारों पर बोला हमला: पीएम मोदी ने कहा, गरीबों के नाम पर वोट बटोरने वालों ने 55 साल तक देश में राज किया, लेकिन असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए कोई योजना नहीं बनाई. जिनके लिए गरीबी सिर्फ फोटो खिंचवाने का खेल होता है, जिसे कभी भूखे पेट सोने का दर्द नहीं पता, उसके लिए गरीबी एक मानसिक अवस्था होती है. पीएम ने कहा, हमारे लिए तो गरीबी एक बहुत बड़ी चुनौती है. गरीबी से जूझने में पूरा परिवार खप जाता है.
LIVE: PM Shri @narendramodi launches PM Shram Yogi Maandhan Yojana & other development projects at Vastral, Gujarat. #KaamdarKaSamman https://t.co/FlhTipALge
— BJP (@BJP4India) March 5, 2019
कैसे जुड़ें इस योजना से: पीएम मोदी ने कहा, कोई भी गरीब, वह चाहे अनपढ़ ही क्यों न हो, वह भी इस योजना से आसानी से जुड़ सकता है. ऐसे श्रमिक जिनकी उम्र 18-40 साल के बीच है और मासिक कमाई 15,000 रुपये से कम है, वह सभी इस योजना से जुड़ सकते हैं. इस योजना का हिस्सा बनने के लिए श्रमिक साथियों को नजदीकी कॉमन सेंटर में जाकर फॉर्म भरना होगा. आपका काम सर्विस सेंटरों पर कुछ ही मिनटों में हो जाएगा. यही तो डिजिटल इंडिया का कमाल है. पीएम मोदी ने कहा, 2014 से पहले देश में लगभग 80 हजार कॉमन सर्विस सेंटर थे, जिनकी संख्या हमारी सरकार में बढ़कर 3 लाख से ज्यादा हो गई है. यही सर्विस सेंटर इस योजना से जुड़ने वाले कामदार साथियों की मदद करेंगे.
इस दौरान पीएम ने कहा, आज के इस कार्यक्रम का होस्ट गुजरात है, लेकिन इस कार्यक्रम में इस समय पूरे देश से करीब दो करोड़ लोग तकनीक के माध्यम से शामिल हुए. पीएम मोदी ने कहा, देशभर के सभी कामगार साथी जो घरों में सेवक के रूप में काम कर रहे हैं, कबाड़ से आजीविका कमाते हैं, खेत मजदूरी कर रहे हैं, सड़कों-घरों के निर्माण में जुटे हैं, रेहड़ी-ठेले चलाते हैं, बुनकर हैं, ऐसे कामों से जुड़े सभी कामगार साथियों को बहुत बधाई.
उन्होंने कहा, मुझे एहसास है कि देश के करोड़ों गरीबों के मन में ये सवाल रहता था कि जब तक हाथ-पैर चलते हैं, तब तक तो काम भी मिल पाएगा, थोड़ा बहुत पैसा भी मिलेगा, लेकिन जब शरीर कमजोर हो जाएगा तब क्या होगा? उम्र के उस पड़ाव में, जब आय का कोई साधन न हो, तो वह समय बहुत मुश्किल होता है. यही पीड़ा मेरे मन और दिमाग में थी.