नई दिल्ली: तीसरी बार पीएम बनने के बाद पीएमओ के अधिकारियों को अपने पहली संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दिया है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में 10 साल पहले एक छवि बनी हुई थी कि पीएमओ एक शक्ति का केंद्र है जो एक बहुत बड़ा पावर सेंटर है. इस पर मैं कहता हूं कि मैं न सत्ता के लिए पैदा हुआ हूं और न मैं शक्ति आर्जित करने के लिए सोचता हूं. यह न तो मेरा रास्ता है और न ही मेरी इच्छा है. पीएमओ एक पावर सेंटर बने. साल 2014 से जो हमने कदम उठाए हैं उसमें एक उत्प्रेरक एजेंट के रूप में विकसित करने की कोशिश की है. पीएमओ लोगों का पीएमओ होना चाहिए, लेकिन मोदी का यह पीएमओ नहीं हो सकता.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि जब सरकार की बात आती है तो अकेला मोदी नहीं होता. उसके जो हजारों मस्तिष्क जुड़े हुए हैं वह इस काम में लगे हैं और हजारों भुजाएं इस पर काम कर रही हैं. इस विराट स्वरूप की वजह से सामान्य मानव भी इसकी क्षमताओं से रू-ब-रू होते हैं.
पीएम मोदी ये भी कहा कि 10 साल में जिस टीम ने मुझे इतना कुछ दिया, उसमें और कुछ नया क्या किया जा सकता है, हम इसे बेहतर कैसे कर सकते हैं, हम इसमें तेजी से कैसे ला सकते हैं, हम इन सबको साथ लेकर अगर आगे बढ़ते हैं तो मुझे पूरा विश्वास है कि उनके प्रयासों पर देश की 140 करोड़ जनता ने अपनी मुहर लगाई है. ये चुनाव मोदी के भाषणों पर मुहर नहीं लगी है, ये हर सरकारी कर्मचारी के 10 साल के प्रयासों पर मुहर लगी है. इसलिए इस जीत का हकदार अगर कोई है तो वो आप हैं.
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