पीलीभीतः उत्तर प्रदेश के पीलीभीत स्थित जामा मस्जिद में नमाज पढ़ने गए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को देवबंदी बताकर रोक दिया गया. जज मुसफ्फे अहमद ने इस मामले पर कोतवाली में जामा मस्जिद के सदर इमाम, शहर काजी सहित चार लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया है. रिटायर्ड जज का आरोप है कि उनको देवबंदी बताकर नमाज पढ़ने रोक दिया गया. साथ ही उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज अहमद पर आरोप लगाया कि उन्होंने आरोपियों को संरक्षण दिया.
नगर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला छोटा खुदागंज के रहने वाले रिटायर्ड जज ने 6 अगस्त 2017 को कोर्ट में शिकायती पत्र दिया था. जिसमें कहा गया था कि वह मगरिब की नमाज पढ़ने शहर की जामा मस्जिद गए थे तभी दो लड़कों ने उन्हें रोक लिया और मस्जिद के सदर इमाम से मिलने के लिए कहा. जब रिटायर्ड जज इमाम के पास पहुंचे तो इमाम ने उन्हें मस्जिद में नमाज पढ़ने से मना कर दिया. जब कारण पूछा तो इमाम ने कहा कि देवबंदी मसलक को मानने वाले हैं जिसके चलते उन्हें यहां नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
पूरी घटना के बाद रिटारर्ड जज ने पुलिस में शिकायत की तो पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज ना कर तहरीर पर जांच की बात कहके उन्हें वहां से जाने को कहा. जिसके बाद रिटायर्ड जज ने कोर्ट में शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की. जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर कोतवाली पुलिस ने आस्तान-ए-हशमातिया के सज्जादानशीं मौलाना जरताब रजा खां, जामा मस्जिद के सदर इमाम इजहार बरकाती समेत चार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है.
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