नई दिल्लीः देश के सभी राज्यों में पेट्रोल और डीजल के दाम सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए हैं. पेट्रोल की कीमतें सामान्य तौर पर जहां 76 रुपये के करीब पहुंच गई हैं तो वहीं डीजल 70 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंचने वाला है. बीजेपी सरकार में पेट्रोल और डीजल के अब तक के यह सबसे महंगे दाम हैं. जनता पर पड़ रहे अत्यधिक दबाव की वजह से अब उत्पाद शुल्क में कटौती की मांग तेज हो गई है. बताते चलें कि पिछले साल जून से तेल कंपनियां रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमतें संशोधित कर रही हैं.
रविवार को जारी रेट लिस्ट के अनुसार, पेट्रोल-डीजल की कीमतें 19-19 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दी गई हैं. अधिसूचना में बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने की वजह से तेल के दामों में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है. शनिवार को भी पेट्रोल में 13 पैसे और डीजल पर 15 पैसे का इजाफा किया गया था. रविवार को राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 74.40 रुपये प्रति लीटर, जो 14 सितंबर, 2013 के बाद का उच्चतम स्तर है. तब पेट्रोल 76.06 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया था. रविवार को डीजल के दाम भी 65.65 रुपये प्रति लीटर पहुंच गए. डीजल के दाम भी अपने सर्वोच्च स्तर पर हैं. कई राज्यों में डीजल 70 रुपये के करीब पहुंचने वाला है.
पेट्रोल-डीजल पर देश में विपणन दरों में लगभग आधी हिस्सेदारी टैक्स की है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच उत्पाद शुल्क में 9 बार बढ़ोतरी की. उत्पाद शुल्क में महज एक बार पिछले साल अक्तूबर में दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी. मुंबई में 22 अप्रैल को पेट्रोल का दाम अभी तक के अपने सबसे सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है. इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, मुंबई में आज पेट्रोल का दाम 82.25 रुपये प्रति लीटर हो गया. चार महानगरों में चेन्नई दूसरे नंबर पर है. चेन्नई में 77.19 रुपये प्रति लीटर, तो कोलकाता में यह 77.10 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया. शुक्रवार को कच्चे तेल का दाम 73.56 डॉलर प्रति बैरल था.
बताते चलें कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि मोदी सरकार के लिए चिंता का सबब बनी हुई है. विपक्ष इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेर रहा है तो जनता भी तेल की बढ़ती कीमतों से हलकान है. कर्नाटक चुनाव को लेकर हाल में खबर आई थी कि केंद्र सरकार ने तेल कंपनियों से फिलहाल के लिए बढ़ोतरी पर लगाम कसने के लिए कहा है क्योंकि कांग्रेस इस मुद्दे पर राज्य चुनाव में बीजेपी को घेर रही है. बीजेपी सरकार के लिए संकट यहीं खत्म होता नहीं दिख रहा है क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव में महज एक साल का वक्त बचा हुआ है और महंगाई के मुद्दे पर फेल मोदी सरकार जनता के बीच चुनाव में किस रिपोर्ट कार्ड के साथ उतरेगी, देखना अहम होगा.
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगी आग, इस साल बढ़े सबसे ज्यादा दाम
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