पटना: लोगों को अपने घरों से इतना लगाव और प्रेम होता है कि चाहे वो कहीं भी चले जाएं परंतु आखिर में उनको सुकून अपने घर में ही आकर मिलता है। पर क्या आपने कही सुना है कि लोग अपने ही हाथों से अपने घर को तोड़ रहे हों। आप सोच रहे होंगे की हम […]
पटना: लोगों को अपने घरों से इतना लगाव और प्रेम होता है कि चाहे वो कहीं भी चले जाएं परंतु आखिर में उनको सुकून अपने घर में ही आकर मिलता है। पर क्या आपने कही सुना है कि लोग अपने ही हाथों से अपने घर को तोड़ रहे हों। आप सोच रहे होंगे की हम ऐसा क्यों कह रहे हैं। आपको बता दे कि ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ये घटना सच में हुई है। जानकारी के मुताबिक भागलपुर जिले नवगछिया के खरीक प्रखंड अंतर्गत सिंहकुण्ड गांव में रहने वाले लोगों के लिए कोसी नदी खतरा बन गई है। इसी कारण से ग्रामीण खुद ही अपना आशियाना उजाड़ने पर मजबूर हो गए हैं।
किसी भी व्यक्ति के लिए उसका घर ही सब कुछ होता है। अगर किसी इंसान के पास घर ही न हो तो उसको दिन रात दर-दर ठोकर खानी पड़ती हैं। इंसान को कहीं पर भी सुकून की नींद नहीं आती है। परंतु सिंहकुण्ड गांव में रहने वाले लोग अब अपने ही घरों को तोड़ते हुए नज़र आ रहे हैं। दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि जिले के नवगछिया के खरीक प्रखंड अंतर्गत सिंहकुण्ड गांव को कोसी नदी ने पूरी तरह से अपने आगोश में ले लिया है। इस मामले में गांव के ग्रामीणों ने बताया कि हर साल उनके गांव में ऐसे ही हालात पैदा होते रहते हैं। इस साल भी शुरुआती बारिश में 5 से 7 फिट जमीन रोजाना कटकर कोसी नदी में समाती हुई नजर आ रही है। इसी डर से ग्रामीण लोगों ने रात में सोना तक बंद कर दिया और रतजगा करने को मजबूर हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी शिकायत सुनने वाला कोई नहीं है। इसी वजह से ग्रामीणों का जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के प्रति आक्रोश भी है।
नवगछिया में कोसी नदी के कहर से लोग खुद अपना घर उजाड़ने पर मजबूर हो गए हैं। लोगों का कहना है कि इस से पहले उनके घर नदी में विलीन हो जाएं इसलिए वह दुखी मन से ईंट बचाने की कवायद में लगे हुए हैं। नदी के पास बसे सिंहकुण्ड गांव में हर दिन भीषण कटाव देखने को मिल रहा है। लोग इसी चिंता में अपने दिन रात काट रहे हैं कि उनके घर नदी में ना बह जाएं। इसी कारण से लोगों ने अब इस गांव से पलायन करने का फैसला ले लिया है। ये सभी घर लोगों ने कड़ी मेहनत मजदूरी कर और लाखों रुपये खर्च कर के बनाए थे। परंतु अब खुद के सामने ही वह अपने आशियाने को उजाड़ता देख रहे हैं। आशियाने को उजाड़ता देख ग्रामीणों की आंखें नम हो गई हैं। इस मामले में गांव की निवासी उषा देवी और दयानंद राय का कहना है कि उन्हें देखने वाला यहां कोई नहीं है। घर गिरने के डर से वह ईंट बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि सैकड़ों परिवारों के घर अब तक कोसी में विलीन हो चुके हैं।
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