लखनऊ। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इन दिनों लोगों के निशाने पर हैं। दरअसल अखिलेश जातिगत राजनीति के गंदे फेरे में फंस गए हैं। दरअसल असोथर थाना क्षेत्र के पुरबुजुर्ग चौराहा पर एक चाय-समोसे की दुकान में दो सगे दलित भाई समोसा खा रहे थे। दोनों को दबंगों ने पीट दिया। इस घटना को […]
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इन दिनों लोगों के निशाने पर हैं। दरअसल अखिलेश जातिगत राजनीति के गंदे फेरे में फंस गए हैं। दरअसल असोथर थाना क्षेत्र के पुरबुजुर्ग चौराहा पर एक चाय-समोसे की दुकान में दो सगे दलित भाई समोसा खा रहे थे। दोनों को दबंगों ने पीट दिया। इस घटना को लेकर सपा के एक आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया गया, जिसमें उन्होंने राजपूतों को निशाना बनाया।
हालांकि बाद में यह पोस्ट डिलीट कर दिया गया। इस मामले में एक आरोपी की गिरफ़्तारी हुई, जिसके बाद पता चला कि दबंग राजपूत नहीं बल्कि यादव जाति से था। समाजवादी पार्टी को जैसे पता चला कि दोनों आरोपी युवक यादव हैं, उन्होंने अपने पोस्ट डिलीट कर लिए। इससे पहले वो योगी सरकार पर उच्च जाति के लोगों द्वारा दलितों के साथ मारपीट करने का आरोप लगा रहे थे।
सपा के आईटी सेल हैंडल से ट्वीट किया गया था कि नशेबाज अंकित सिंह और नरेंद्र सिंह ने सत्ता और शराब के नशे में एक दलित व्यक्ति को सिर्फ इसलिए मारा क्योंकि दलित व्यक्ति कुर्सी पर बैठकर समोसा खा रहा था। अंकित “सिंह” है इसीलिए ना उसका एनकाउंटर होगा ना ही उसके घर पर बुलडोजर चलेगा। यही है सीएम योगी का शर्मनाक जातिवाद।
इस मामले में पीड़ित रमेंद्र कुमार ने थाने में तहरीर देते हुए जानकारी दी कि 10 सितंबर को वो अपने भाई विकास के साथ नरैनी से आ रहा था। शाम में वह गाँव के चौराहे पर एक दुकान पर समोसे खा रहा था। तभी दअसोथर के रहने वाले अंकित सिंह यादव और नरेंद्र सिंह यादव ने जाति सूचक गालियां देकर उनके साथ मारपीट की। अब घटना का ट्वीट डिलीट करने को लेकर अखिलेश यादव की किरकिरी हो रही है। लोग सपा की इस हरकत को घिनौना बता रहे।
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