शिमला : हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब हिमाचल पथ परिवहन पेंशनर्स कल्याण संघ ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पेंशनर्स अपने करीब 850 करोड़ रुपये के लंबित बकाए का भुगतान करने की मांग कर रहे हैं। आरोप है कि उन्हें दिवाली से पहले 28 अक्टूबर को पेंशन देने का वादा किया गया था, लेकिन पेंशन 11 नवंबर को आई।
हिमाचल पथ परिवहन पेंशनर्स कल्याण संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि 12 अक्टूबर को एचआरटीसी के 50 साल पूरे होने का कार्यक्रम बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और परिवहन विभाग का प्रभार संभाल रहे उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने वादा किया था कि 28 अक्टूबर को सभी पेंशनर्स को पेंशन मिल जाएगी, लेकिन 28 अक्टूबर तो छोड़िए, एक नवंबर को भी पेंशन नहीं आई। अब किसी तरह 11 नवंबर को पेंशन खाते में आई है। उन्होंने कहा कि जब सरकार वादा करती है तो पेंशनर्स को उम्मीदें होती हैं लेकिन, सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया।
हिमाचल पथ परिवहन पेंशन कल्याण संघ के अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि वे चाहते हैं कि प्रदेश सरकार जल्द से जल्द उनके लंबित बकाए का भुगतान करे। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग उठाई है कि पेंशनरों को सेवानिवृत्ति के बाद इस उम्र में सड़कों पर उतरकर नारेबाजी करने के लिए मजबूर न किया जाए। राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि हिमाचल पथ परिवहन निगम को एक पेंशनर को करीब 7 लाख से 10 लाख रुपये का भुगतान करना होता है।
प्रदेश में करीब 8500 पेंशनर हैं। ऐसे में हिमाचल पथ परिवहन निगम पर पेंशनरों का 800 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। उन्होंने कहा कि एचआरटीसी हिमाचल प्रदेश सरकार का उपक्रम है। ऐसे में राज्य सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि पेंशनरों का बकाया जल्द से जल्द चुकाया जाए।
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