पप्पू यादव और कन्हैया का रास्ता रोकने से क्या फायदा? आखिर लालू ने क्या सोचा है तेजस्वी के लिए

बिहार: पूर्णिया का माहौल देखा जाए तो पूरे बिहार से बिल्कुल अलग है. बिहार में भले ही लोग इस बात पर आपस में बहस कर रहे हो  कि एनडीए और इंडिया गठबंधन की कितनी सीटें आनी है, लेकिन पूर्णिया में अलग ही चर्चा शुरू है. दरअसल वो ये चर्चा है कि पप्पू यादव हारेंगे या […]

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पप्पू यादव और कन्हैया का रास्ता रोकने से क्या फायदा? आखिर लालू ने क्या सोचा है तेजस्वी के लिए

Zohaib Naseem

  • April 24, 2024 7:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 months ago

बिहार: पूर्णिया का माहौल देखा जाए तो पूरे बिहार से बिल्कुल अलग है. बिहार में भले ही लोग इस बात पर आपस में बहस कर रहे हो  कि एनडीए और इंडिया गठबंधन की कितनी सीटें आनी है, लेकिन पूर्णिया में अलग ही चर्चा शुरू है. दरअसल वो ये चर्चा है कि पप्पू यादव हारेंगे या फिर जीतेंगे? बिहार की पूर्णिया सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने जा रहा है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के मुकाबले लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने बीमा भारती को इंडिया गठबंधन का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. वहीं एनडीए एक तरफ से जेडीयू के टिकट पर मौजूदा सांसद संतोष कुमार कुशवाहा मैदान में उतरे हैं. जेडीयू और बीजेपी तो आरजेडी उम्मीदवार बीमा भारती को ही संतोष कुशवाहा के लिए चुनौती मान लिए थे, लेकिन तेजस्वी यादव तो पप्पू यादव को ही सबसे बड़ी चुनौती मान लिए है.

सम्राट चौधरी ने क्या कहा?

बता दें कि पूर्णिया के लोगों ने पप्पू यादव की जगह एनडीए कैंडिडेट संतोष कुशवाहा को वोट देने की उनकी सलाह ने अलग ही घमासान मचा दिया है. वहीं पूर्णिया में तेजस्वी यादव ने जो भाषण दिया था और उस पर बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी कहते है कि तेजस्वी यादव ने पूर्णिया में हार मान ली है और हताशा में अब सच्चाई उगल रहे हैं. कन्हैया कुमार और पप्पू यादव में देखा जाए तो बहुत बड़ा फर्क है. बता दें कि कन्हैया कुमार और पप्पू यादव की छवि भी काफी अलग हैं. हालांकि ये बात भी है कि पप्पू यादव को कोर्ट कचहरी और जेल में बिताने पड़े थे, लेकिन वो इन सब चीजों से उबर चुके हैं, जबकि देखा जाए तो कन्हैया के खिलाफ मामला पेंडिंग हैं.

तेजस्वी की तुलना कन्हैया से की जाती है

आपको बता दें कि कन्हैया कुमार युवा हैं और जब भी उनकी तुलना तेजस्वी यादव से होती है, तो पढ़ाई लिखाई की बातें शुरू हो जाती हैं. फिर इसी को देखते हुए आरजेडी कार्यकर्ताओं को तेजस्वी यादव के बचाव में मोर्चा संभालना पड़ जाता हैं. ये तो  बिल्कुल सच है कि लालू यादव कभी भी नहीं चाहेंगे कि तेजस्वी का हम उम्र बिहार से बड़ा नेता के रूप में देखा जाए. पप्पू यादव के मैदान में जम जाने से भी तेजस्वी यादव के लिए मुश्किल बढ़ जाती है. पप्पू यादव एक साथ लालू यादव के यादव-मुस्लिम वोट बैंक पर दावा कर देते है. पप्पू यादव की वोट बैंक में हिस्सेदारी लालू यादव की राजनीति में बड़ी चुनौती आ सकती है.

 

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