अयोध्या। राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की पूजा कराने वाले पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन हो गया है। 90 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि लक्ष्मीकांत दीक्षित वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य भी थे। इस विश्वविद्यालय की स्थापना में काशी नरेश ने भी मदद की थी। आचार्य लक्ष्मीकांत काशी में यजुर्वेद के बड़े विद्वानों में से एक थे।
जानकारी के मुताबिक आचार्य लक्ष्मीकांत पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया गया है। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान लक्ष्मीकांत दीक्षित प्रमुख पुजारी थे। उनके निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दुःख जताया है।
लक्ष्मीकांत दीक्षित की अध्यक्षता में 121 पंडितों की टीम ने अयोध्या राम मंदिर में अनुष्ठान किया था। पीएम नरेंद्र मोदी ने प्राण-प्रतिष्ठा के बाद मुख्य पुजारी और आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित से रक्षासूत्र बंधवाया था। जिसके बाद पीएम ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।
लक्ष्मीकांत दीक्षित का जन्म 1942 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम वेदमूर्ति मथुरानाथ दीक्षित और माता का नाम रुक्मिणी था। उन्होंने भारत और नेपाल में वैदिक अनुष्ठानों का आचार्यत्व किया है। आचार्य लक्ष्मीकांत को वैदिक भूषण, वैदिक रत्न, वेदसम्राट और देवी अहिल्या बाई राष्ट्रीय पुरस्कार आदि से सम्मानित किया जा चुका है। कहा जाता है कि इनके पूर्वजों ने ही शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक कराया था।
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