कोलकाता। इस बार भी पश्चिम बंगाल चुनाव में लूट-पाट, हिंसा और हत्याओं की घटना से अछूता नही रहा। हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में एक बार फिर ऐसी घटनाएं सामने आई।
हाल ही में 8 जुलाई पश्चिम बंगाल के 73,887 पंचायत सीटों में से 68,874 सीटों पर पर मतदान हुआ। इसके अलावा 9,103 सीटों पर उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया। सबसे ज्यादा तृणमूल कांग्रेस के 8,874 निर्विरोध चुने गए। चुनाव के नतीजें 11 जुलाई को आएंगे।
बता दें कि चुनाव वाले दिन 16 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई। 13 मौते कूचविहार, मुर्शिदाबाद और मालदा में हुई। मुर्शिदाबाद में सबसे ज्यादा पांच मौत हुई, कूचविहार में तीन, उतरी दिनाजपुर मे चार और मालदा में एक की मौत हुई। वही नादिया, पूर्वी बर्दमान और दक्षिण 24 परगना में एक- एक मौत हुई। वही 200 से ज्यादा लोग और आठ पत्रकार भी घायल हुए।
BSF DIG एसएस गुलेरिया ने राज्य चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा की, चुनाव आयोग की तरफ से सेंसिटिव बूथ की संख्या कम बताई गई, लोकेशन सही नही बताई गई, सेंसिटिव बूथ कि संख्या 4834 बताई गई जबकि सेंसिटिव बूथों की संख्या अधिक थी। CRPF का इस्तेमाल सही से नही किया गया। बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने पलटवार करते हुए कहा की यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन की थी कि वह भी़ड़ को कंट्रोल करें, उन्होनें आरोप लगाया की केंद्रीय बल बंगाल में समय रहते कंपनिया तैनात नही कर सका।
बंगाल में पंचायत चुनाव में भड़की हिंसा को लेकर गृह मंत्रालय भी सतर्क हो गया है। गृह मंत्री अमित साह ने शनिवार को राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से बात कर उन्होनें पार्टी कार्यकर्ताओं की जानकारी ली।
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