पटना. ग्रामीण भारत और किसानों के क्षमता निर्माण के लिए आज बिहार की राजधानी पटना के बामेती सभागार में क्षेत्रीय जैविक खेती केंद्र, कृषि मंत्रालय (भारत सरकार) और रेडियो पिटारा के द्वारा किसान संवाद का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन पद्मश्री से सम्मानित अनुभवी किसान श्री भारत भूषण त्यागी के द्वारा आरसीओएफ, सहायक निदेशक, जगत सिंह और पी आर सिन्हा, पूर्व निदेशक, निदेशक बामेती जीतेन्द्र प्रसाद की विशिष्ट उपस्थिति में की गई. ”कृषि संवाद” कार्यक्रम के दौरान RCOF ”जैविक खेती पर हर रोज पाठशाला” नाम की एक नई पहल की भी घोषणा की गई.
पद्मश्री से सम्मानित भारत भूषण त्यागी ने कहा कि अब समय आ गया है कि किसान, बाज़ार के हिसाब से खेती न करें बल्कि अपने हिसाब से खेती करें, बाज़ार उसके लिए उपलब्ध है. किसान को केवल उत्पादक नहीं बल्कि उत्पाद प्रबंधक होना होगा. कम जमीन में ज्यादा उत्पादन के लिए किसानों को मल्टी क्रॉप के महत्व के बारे में बताते हुए कहा की खेती, खासकर जैविक तरीके से कमाई के लिए किसानों को पांच चीजें समझनी होंगी. 1- उत्पादन, 2-प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग), 3-प्रमाणीकरण (सर्टीफिकेशन) 4-बाजार (मार्केट) इन चार चीजों के अलावा पांचवां और सबसे अहम कारक है जिसे समझना जरूरी है वो है प्रकृति का साथ.
भारत भूषण त्यागी ने आगे कहा कि हम प्रकृति का विरोध कर खेती करना चाहते हैं, ये मनुष्य और प्रकृति के बीच युद्ध जैसा है, जितनी जल्दी इसे बंद कर देंगे, खेती कमाई देने लगेगी. मनुष्य को मनुष्य से ही नुकसान है किसी जीव जंतु से ज्यादा प्रकृति का नुकसान सिर्फ मनुष्य ने ही किया है. हमें प्रकृति के चक्र को समझाना होगा तभी हम ज्यादा बेहतर उत्पादन कर सकते हैं. खेती में अध्ययन का मतलब प्रकृति की उत्पादन व्यवस्था से और अभ्याय का मतलब जलवायु, मौसम, खेती और आबोहवा को देखते हुए खेती करना है. इस अवसर पर आरसीओएफ, सहायक निदेशक, जगत सिंह और निदेशक बामेती जीतेन्द्र प्रसाद ने भी संबोधित किया .
इस पहल के बारे में बताते हुए रेडियो पिटारा के संस्थापक गौरव दीक्षित ने कहा की किसान-संवाद के जरिये यह प्रयत्न किया जा रहा है कि किसानों से जुड़े कुछ समकालीन और ज्वलंत मुद्दों पर वर्षों के अनुभवों के माध्यम से चर्चा के द्वारा क्षमता निर्माण किया जा सके. आगे इस किसान-संवाद को अलग अलग मुद्दों पर अलग अलग जिलों और प्रमंडलों में भी आयोजित किया जाएगा. इस पहल के माध्यम से कृषि विशेषज्ञों और किसानों के बीच एक प्रभावशाली वैचारिक आदान-प्रदान के लिए किसान-संवाद की पहल की गई है.
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