मुंबई: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान सुर्खियों में बने हुए हैं. इस बीच एक रैली के दौरान सोलापुर पुलिस ने ओवैसी को नोटिस दिया। खास बात ये है कि ये नोटिस सार्वजनिक मंच पर दिया गया. सोलापुर पुलिस ने ओवैसी को नोटिस दिया. खास बात ये है कि ये नोटिस सार्वजनिक मंच पर दिया गया.
वह सोलापुर सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र से पार्टी उम्मीदवार फारूक शाब्दी की रैली में शामिल होने आये थे. इसी बीच ओवैसी को नोटिस दिया गया है. वहीं पुलिस ने भारतीय नागरिक संहिता की धारा 168 के तहत ओवैसी को नोटिस जारी किया है. हालांकि सोलापुर पुलिस की तरफ से दिए गए नोटिस में यह लिखा हुआ है कि किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचाने और भड़काऊ भाषण न देने की हिदायत दी गई है. इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी ने मंच पर अपने संबोधन के दौरान नोटिस के बारे में बोलते हुए कहा कि मुझे नोटिस मिला है. लेकिन, मुझे समझ नहीं आया कि आचार संहिता के वक्त पुलिस कैसे नोटिस दे सकती है.
आचार संहिता लागू होने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर पुलिस को नियंत्रित करता है, ऐसे में पुलिस रिटर्निंग ऑफिसर की अनुमति के बिना नोटिस कैसे भेज सकती है. लेकिन, मुझे कोई दिक्कत नहीं है. इस दौरान ओवैसी ने अपने छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के ’15 मिनट’ वाले बयान को भी याद दिलाया. नोटिस का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा, ”9.45 बज चुके हैं, अभी 15 मिनट बाकी हैं. इसके बाद ओवैसी ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया और कहा- वेरी सॉरी. उन्होंने आगे व्यंग्य करते हुए कहा, ‘नोटिस केवल दूल्हे के भाई को भेजा गया है और किसी को नहीं, वह केवल अपने भाई से प्यार करता है दूसरों से नहीं।
ओवैसी ने कहा, ”मैंने नोटिस के जवाब में लिखा है कि मैंने कई सभाओं को संबोधित किया है. अगर आपने पीएम मोदी को नोटिस नहीं दिया तो फिर ओवैसी को नोटिस क्यों दिया. पीएम मोदी 3 दिन पहले आए थे, आपने नोटिस नहीं दिया” उसे तो मुझे क्यों?” एआईएमआईएम चीफ ने बीजेपी नेता नीतीश राणे का नाम लिए बिना कहा कि मस्जिद में घुसने और जान से मारने की धमकी देने वालों को हमने नोटिस नहीं दिया, बल्कि हमें नोटिस दिया. वहीं डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस वोट जिहाद, धर्मयुद्ध की बात करते हैं. क्या चुनाव वोट जिहाद और धार्मिक युद्ध है?
उन्होंने आगे कहा कि जब मैं 18 नवंबर को अपनी पत्नी से मिलूंगा तो वह पूछेगी कि मैं क्या लाया हूं, तब मैं उन्हें नोटिस दिखाऊंगा और बताऊंगा कि मैं यह लाया हूं. मैं इसे फ्रेम करके रखूंगा.” घर, यह मेरे लिए एक पदक है। युवावस्था में मैंने प्रेम पत्र नहीं लिखा होगा या आपसे मुलाकात नहीं की होगी, लेकिन हम बुढ़ापे में मिल रहे हैं। लेकिन मैं जवान हूं, मेरी दाढ़ी देखकर लोग कहते हैं कि यह सफेद हो गई है, लेकिन शेर कभी बूढ़ा नहीं होता. बंदर चाहे कितना भी बूढ़ा हो जाए गुलाटी मारना नहीं भूलता। ओवैसी ने आगे कहा कि अगर रिटर्निंग ऑफिसर ने नोटिस दिया होता तो कोई दिक्कत नहीं होती. पुलिस ने यह जानकारी दी.
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