लखनऊ। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने पर बीजेपी के अंदर जबरदस्त खींचतान चल रही है। योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच की उठापठक किसी से छिपी नहीं है। इन सबके बीच सीएम योगी को कई फैसलों पर अपने ही लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। गुरुवार को यूपी विधानपरिषद में योगी सरकार को नजूल संपत्ति विधेयक पर पैर पीछे खींचना पड़ा क्योंकि यह पास नहीं हो सका। इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया है।
सख्त फैसले की छवि वाले योगी अब अपने ही पार्टी और सहयोगियों का विरोध झेल रहे हैं। इस कारण कई फैसलों से उन्हें अपना कदम पीछे खींचना पड़ा है। सरकार और संगठन के बीच की कलह में योगी बार-बार बैकफुट पर आ रहे हैं। पिछले एक महीने के अंदर योगी ने अपने तीन फैसले वापस लिए हैं। बुधवार को नजूल संपत्ति विधेयक यूपी विधानसभा में पास हुआ लेकिन विधानपरिषद में यह अटक गया। दरअसल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी इस विधेयक के खिलाफ खड़े हो गए और इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग की।
भूपेंद्र चौधरी, विपक्ष के अलावा बीजेपी के सहयोगी राजा भैया और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी इसके विरोध में नजर आईं। फिर इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजना पड़ा। इससे पहले प्राइमरी शिक्षकों की डिजिटल अटेडेंस के फैसले पर भी रोक लगाई गई थी। योगी सरकार ने शिक्षकों की स्कूलों में समय पर उपस्थिति को लेकर डिजिटल हाजिरी की शुरुआत की थी लेकिन जबरदस्त विरोध होने के बाद से वापस लेना पड़ा। चुनाव के बाद कुकरैल नदी की जमीन को खाली कराने को लेकर इसके किनारे बसे जगहों को खाली करने का निर्देश दिया था। बाद में विरोध बढ़ता देखकर बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
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