नई दिल्ली : विपक्षी पार्टियां उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं. इंडिया अलायंस और अन्य विपक्षी दल राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के कथित पक्षपातपूर्ण रवैये से नाराज चल रहे है. हालांकि 9 अगस्त को विपक्ष के हंगामे के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया .ऐसे में यह साफ नहीं हो पा रहा कि जब संसद चल नहीं रही है . तो प्रस्ताव किस तरीके से लाया जाएगा.
जानकारी के अनुसार इंडिया अलायंस और विपक्षी पार्टियों के 87 सांसदों ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने के प्रस्ताव पर सिग्नेचर किया हैं. सूत्रों के अनुसार विपक्ष ने दो दिन पहले सदन के नेता जेपी नड्डा को अनौपचारिक रूप से बताया है कि वह उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने पर विचार कर रहे हैं.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्ष ने तर्क दिया कि वह राज्यसभा में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं. आरोप है कि उनके इशारे करने पर नेता विपक्ष का माइक्रोफोन बार – बार बंद कर दिया जाता है. संसद में नियम-कायदों का पालन नहीं किया जा रहा है और विपक्षी सांसदों पर व्यक्तिगत टिप्पणी की जा रही है.
बता दें कि सपा की सांसद जया बच्चन और जगदीप धनखड़ के बीच बहस हो गई. जया बच्चन ने सभापति के टोन पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह इस तरह के व्यवहार को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगी. उसके बाद सोनिया गांधी की अगुवाई में इंडिया ब्लॉक के सभी नेताओं ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया. सदन से निकलने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए विपक्ष ने आरोप लगाया कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों को वैसा महत्व नहीं देते हैं.जिसके वह हकदार हैं.
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं .इसके अलावा नियमों और पंरपराओं के मुताबिक उच्च सदन को चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं उन्हें राज्यसभा के सभापति पद से तभी हटा सकते हैं. जब उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति के पद से हटा दिया जाये. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े प्रावधान किए गए हैं. संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा द्वारा सहमत एक प्रस्ताव के माध्यम से उनको पद से हटाया जा सकता है. हालांकि प्रस्ताव पेश करने से पहले 14 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है. प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है.लोकसभा में नहीं
संविधान के अनुच्छेद 67(बी) में कहा गया है.उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो और लोकसभा द्वारा सहमति दी गई हो,तभी उनको पद से हटाया जा सकता है.
विपक्षी दल भले ही उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने का प्रस्ताव ला रहे है. लेकिन विपक्ष का यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता है. क्योंकि विपक्षी दलों के पास उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है.
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