भुवनेश्वर: ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजू जनता दल (बीजेडी) की करारी हार के बाद ही पूर्व सीएम नवीन पटनायक के सहयोगी वीके पांडियन ने राजनीति से संन्यास ले लिया है. उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया है. वीके पांडियन ने एक वीडियो जारी कर इस बात की जानकारी दी है. वीके पांडियन […]
भुवनेश्वर: ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजू जनता दल (बीजेडी) की करारी हार के बाद ही पूर्व सीएम नवीन पटनायक के सहयोगी वीके पांडियन ने राजनीति से संन्यास ले लिया है. उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया है. वीके पांडियन ने एक वीडियो जारी कर इस बात की जानकारी दी है. वीके पांडियन को पूर्व सीएम नवीन पटनायक का उत्तराधिकारी माना जा रहा था, लेकिन बीजेडी की हार के बाद से वीके पांडियन सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आ रहे थे और वह पार्टी नेताओं की मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए थे.
आपको बता दें कि वीके पांडियन ने नवीन पटनायक के आवास पर हुई पार्टी नेताओं की मीटिंग में भी शामिल हुए थे. उन्होंने वीडियो जारी कर कहा कि मेरा राजनीति जॉइन करने का मकसद सिर्फ नवीन बाबू को सहयोग करना था और अब मैंने राजनीति छोड़ने का फैसला किया है. पांडियन ने कहा कि अगर इस यात्रा में मेरे से कोई गलती हुई है तो उसके लिए मैं माफी मांगत हूं. मेरे खिलाफ चलाए गए नैरेटिव अभियान से बीजेडी को नुकसान हुआ तो इसके लिए मैं पूरे बीजेडी परिवार से माफी मांगत हूं. बीजेडी के लाखों कार्यकर्ताओं को तहे दिल से शुभकामनाएं.
ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने बीजेडी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. राज्य विधानसभा की 78 सीटें जीतकर बीजेपी ने बीजेडी के 24 साल के शासन को हटा दिया है. वहीं बीजेडी को 51 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस ने 14 और सीपीआई (एम) ने एक सीट पर कब्जा जमाया है. इस चुनाव में 3 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी जीत दर्ज की है. नवीन पटनायक और उनकी पार्टी के लिए आश्चर्य की बात यह है कि लोकसभा चुनाव में एक भी सीट पार्टी को नहीं मिली. दूसरी तरफ बीजेपी ने राज्य की 20 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस ने एक सीट जीती है.