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NSUI का आरोप- DUSU अध्यक्ष अंकिव बैसोया ने फर्जी दस्तावेजों से लिया दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन

कांग्रेस के छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इं‌डिया (एनएसयूआई) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (DUSU) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अंकिव बैसोया की डिग्री पर सवाल उठाए हैं. एनएसयूआई का दावा है कि अंकिव ने फर्जी शैक्षणिक दस्तावेजों की मदद से DU में एडमिशन लिया है.

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Ankiv Baisoya DUSU president fake degree allegation by NSUI
  • September 18, 2018 6:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव (DUSU) में अध्यक्ष पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के उम्मीदवार अंकिव बैसोया ने कब्जा जमाया. जिसके बाद अब दिल्ली यूनिवर्सिटी में नवनिर्वाचित अध्यक्ष अंकिव की डिग्री को लेकर विवाद शुरू हो गया है. कांग्रेस के छात्र नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इं‌डिया (एनएसयूआई) का दावा है कि अंकिव ने फर्जी दस्तावेजों की मदद से दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अंकिव की डिग्री को कथित तौर पर तमिलनाडु की थ‌िरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी द्वारा फर्जी बताया जा रहा है.

NSUI नेताओं का दावा है कि अंकिव बैसोया की थ‌िरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी की मार्कशीट और प्रमाण पत्र फर्जी हैं. नेताओं का कहना है कि चुनाव से पहले ही तमिलनाडु NSUI के पदाधिकारियों ने थ‌िरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी जाकर अंकिव बैसोया की मार्कशीट और डिग्री के बारे में तस्दीक की थी. यूनिवर्सिटी ने पड़ताल के बाद अंकिव के दस्तावेजों को फर्जी करार दिया था. आरोप है कि अंकिव ने इन्हीं फर्जी दस्तावेजों की मदद से दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था.

एनएसयूआई के प्रवक्ता साइमन फारुकी ने बताया कि अंकिव बैसोया की ग्रेजुएशन की डिग्री फर्जी है और हमने इसकी पुष्टि की है. इसे लेकर हम जल्द यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से मिलेंगे. हम डीयू प्रशासन से भी इस बारे में स्पष्टीकरण चाहते हैं. अंकिव की मार्कशीट और प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के संबंध में थ‌िरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पत्र भी जारी किया था. मंगलवार को भी NSUI नेताओं ने कॉलेज में अंकिव बैसोया का प्रवेश निरस्त करने को लेकर जमकर हंगामा किया.

वहीं दूसरी ओर ABVP की राष्ट्रीय मीडिया संयोजक मोनिका चौधरी ने इस बारे में कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मानकों को ध्यान में रखते हुए अंकिव बैसोया के प्रवेश हेतु आवश्यक शैक्षणिक दस्तावेजों का सत्यापन करने के बाद ही उन्हें प्रवेश दिया था. अगर यह फर्जी होते तो अंकिव का यहां एडमिशन मुमकिन नहीं था. यूनिवर्सिटी के किसी भी छात्र के प्रमाण पत्रों को सत्यापित करना डीयू प्रशासन का काम है न कि एनएसयूआई का. मोनिका चौधरी ने आगे कहा कि वह लोग किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हैं. NSUI नेताओं के आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं. दरअसल एनएसयूआई अपनी हार स्वीकार नहीं कर पा रही है इसलिए वह मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं.

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