पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान इन दिनों कुछ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ समय से वो बीजेपी के फैसलों पर लगातार सवाल उठाते हुए दिख रहे। वक्फ बिल, लेटरल एंट्री, भारत बंद और जातीय गणना के मुद्दे पर विपक्ष के खेमे में दिखाई दिए। अब भाजपा चिराग […]
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान इन दिनों कुछ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ समय से वो बीजेपी के फैसलों पर लगातार सवाल उठाते हुए दिख रहे। वक्फ बिल, लेटरल एंट्री, भारत बंद और जातीय गणना के मुद्दे पर विपक्ष के खेमे में दिखाई दिए। अब भाजपा चिराग के बयानों को देखते हुए उनके जुबान पर लगाम लगाने की तैयारी में है। चिराग के चाचा पशुपति पारस को एक बार फिर NDA में तरजीह दी जायेगी।
कहा जा रहा है कि पिछले कुछ महीनो से राजनीति में साइड लाइन किये गए पशुपति पारस किसी राज्य के राज्यपाल बनाये जा सकते हैं या फिर उन्हें किसी महत्वपूर्ण केंद्रीय बोर्ड में अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है। बीजेपी अगर ऐसा करती है तो इससे चिराग को बड़ा झटका लगेगा क्योंकि फिर पशुपति पारस उनके बराबर में आ जायेंगे। बीजेपी पशुपति पारस के सहारे चिराग पर नियंत्रण बनाए रखना चाहती है।
बता दें कि पशुपति पारस पिछले कुछ महीनों से हाशिए पर हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में NDA में होने के बावजूद उन्हें एक भी टिकट नहीं मिला। इसे लेकर उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की हालांकि गठबंधन में बने रहे। अब जब चिराग बीजेपी को आँखें दिखा रहे हैं तो भाजपा पशुपति पारस का कद बढ़ाना चाहती है। पिछले दिनों उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी।
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