हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में उत्तर भारतीय छात्रों को नहीं मिल रही रोटी, खुद बनाकर कर रहे विरोध, वॉर्डन को बताया- रोटी चोर

2016 में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला ने खुदकुशी कर ली थी. रोहित यहां से पीएचडी कर रहा था. एक बार फिर यूनिवर्सिटी सुर्खियों में है. इस बार यहां 'रोटी' पर राजनीति हो रही है. उत्तर भारतीय छात्रों का आरोप है कि उन्हें खाने में रोटियां नहीं दी जा रही हैं. लिहाजा वह लोग यूनिवर्सिटी कैंपस में रोटी बनाकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध कर रहे हैं.

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हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में उत्तर भारतीय छात्रों को नहीं मिल रही रोटी, खुद बनाकर कर रहे विरोध, वॉर्डन को बताया- रोटी चोर

Aanchal Pandey

  • August 11, 2018 5:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

हैदराबादः 17 जनवरी, 2016 को हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी ने देश को हिला कर रख दिया था. कई दिनों तक यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन होते रहे. राजनीति की परिधि में आ चुकी यूनिवर्सिटी नेताओं का दूसरा घर बन चुकी थी. एक बार फिर हैदराबाद यूनिवर्सिटी सुर्खियों में है. इस बार यहां ‘रोटी’ चर्चा का विषय बनी हुई है. उत्तर भारत से आने वाले छात्र विश्वविद्यालय परिसर में खुद रोटी बनाकर प्रशासन के खिलाफ विरोध जता रहे हैं.

छात्र चीफ वॉर्डन के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. यूनिवर्सिटी में चारों ओर पोस्टर लगाए गए हैं, जिस पर वॉर्डन को ‘रोटी चोर’ लिखा गया है. छात्र इस मुद्दे को तूल देने के लिए सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि उन्हें नियमित तौर पर खाने में रोटी नहीं दी जा रही है. इतना ही नहीं, रोटी छात्र संघ चुनाव का मुद्दा बन गई है. उत्तर भारतीय छात्रों के वोट पाने के लिए छात्र संगठनों से जुडे़ नेता विश्वविद्यालय में खाने में लगातार रोटी देने का वादा तक कर रहे हैं.

इस बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने कैंपस में रोटी बनाकर विश्वविद्यालय प्रशासन का विरोध किया. मिली जानकारी के अनुसार, यूनिवर्सिटी कैंपस में रहने वाले उत्तर भारतीय छात्रों की संख्या तकरीबन 1 हजार है. मेस के ज्यादातर कर्मचारी दक्षिण भारत से ताल्लुक रखते हैं, लिहाजा वह लोग उत्तर भारतीय व्यंजन बनाने में इतने माहिर नहीं हैं. छात्रों का आरोप है कि उन्हें दी जाने वाली रोटी सही तरीके से नहीं बनाई जाती है.

साथ ही छात्रों को नियमित रूप से खाने में रोटी नहीं दी जाती है. ABVP के यूनिवर्सिटी इंचार्ज अभिषेक मल्होत्रा का कहना है कि पहले भी इस मुद्दे को प्रशासन के सामने रखा गया था लेकिन अभी तक इस पर कोई काम नहीं हुआ. वॉर्डन वासुकी बेलावाडी ने छात्रों के आरोपों पर कहा कि दक्षिण भारत के तमाम छात्र जेएनयू में भी पढ़ते हैं तो क्या उन्हें रोज खाने में सांभर दिया जाता है. उन्हें पनीर व अन्य उत्तर भारतीय व्यंजन खाने पड़ते हैं. 29 राज्यों से आने वाले छात्रों के स्वाद का ख्याल कैसे रखा जा सकता है.

वासुकी ने आगे कहा कि 2010-11 के बाद से यहां छात्रों की मांग पर उन्हें रोटी दी जा रही है. छात्र खुद मेन्यू तय करते हैं. मेस डिपार्टमेंट स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. इसके बावजूद स्टूडेंट्स को उनके मनमुताबिक खाना मुहैया कराने की पूरी कोशिश की जा रही है.

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