No cheating in UP Board Exams: नकल पर योगी आदित्यनाथ सरकार के एक्शन के बाद 6 लाख छात्रों ने छोड़ीं यूपी बोर्ड परीक्षाएं

No cheating in UP Board Exams: यूपीएसईबी द्वारा नकल रोकने के लिए उठाए गए कड़े कदमों के बाद करीब 6 लाख स्टूडेंट्स ने यूपी बोर्ड परीक्षाएं छोड़ दी हैं. परीक्षा में न बैठने वालों में 10वीं के ज्यादा छात्र हैं.

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No cheating in UP Board Exams: नकल पर योगी आदित्यनाथ सरकार के एक्शन के बाद 6 लाख छात्रों ने छोड़ीं यूपी बोर्ड परीक्षाएं

Aanchal Pandey

  • February 23, 2019 9:46 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

इलाहाबाद. शिक्षा विभाग द्वारा नकल रोकने के सख्त कदम उठाए जाने के बाद 6 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स ने उत्तर प्रदेश सेकंडरी एजुकेशन बोर्ड (UPSEB) की 10वीं और 12वीं परीक्षाएं छोड़ दी हैं. हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाएं 7 फरवरी को शुरू हुई थीं और ये 2 मार्च को खत्म होंगी. यूपीएसईबी की सेक्रेटरी नीना श्रीवास्तव ने कहा, ”चीटिंग माफिया के खिलाफ इस साल उठाए गए कड़े कदमों को के बाद नेपाल और पड़ोसी राज्यों से 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों की संख्या में 94 प्रतिशत तक की गिरावट आई है.”

उन्होंने कहा, ”स्टूडेंट्स का आंकड़ा 2017 में 1.15 लाख था, जो 2018 में 1.12 लाख हो गया. 2019 में स्टूडेंट्स की संख्या 6300 हो गई क्योंकि वे चीटिंग करने में सफल नहीं हो पाए.” परीक्षा के लिए 58,06,922 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें से 31,95,603 छात्रों को हाई स्कूल की परीक्षा देनी थी. अधिकारियों ने कहा कि जिन छात्रों ने परीक्षा छोड़ी है, उनमें ज्यादातर 10वीं कक्षा के हैं. पिछले साल नकल के मामलों को देखते हुए राज्य के 21 प्रतिशत एग्जाम सेंटर्स को संवेदनशील या अतिसंवेदनशील की श्रेणी में डाला गया है.

यूपीएसईबी के अडिशनल सेक्रेटरी शिवलाल ने कहा, ”ऐसे करीब 12,888 छात्रों का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया गया है, जिन्होंने एक से ज्यादा एग्जाम सेंटर्स से परीक्षा में बैठने के लिए अप्लाई किया था. राज्य ने फॉर्वर्डिंग पॉलिसी में भी संसोधन किया है, ताकि डुप्लिकेट एप्लिकेशन और नकल कराने वाले माफिया व सेंटर मैनेजर्स का मकड़जाल तोड़ा जा सके.” वहीं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एमसी चट्टोपाध्याय ने छात्रों की गिरती संख्या पर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा, “करीब 11 लाख छात्रों ने 2018 में परीक्षाएं छोड़ी थीं और अब आंकड़ा एग्जाम के पहले 9 दिनों में 6 लाख तक पहुंच गया है. तो सख्त तरीकों के जरिए सुधार कैसे आया? राज्य सरकार को एजुकेशन सिस्टम सुधारने और मुख्य समस्या का हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए.”

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