पटना. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास की सुविधाएं नहीं दी जाएंगी. पटना हाई कोर्ट ने मंगलवार को यह आदेश दिया. चीफ जस्टिस एपी शाही की बेंच ने फैसले में कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को जीवनभर आवासीय, गाड़ी और कर्मचारियों की सुविधाएं नहीं मिलेंगी. हाई कोर्ट ने बिहार सरकार के उस कानून को असंवैधानिक और पैसे का दुरुपयोग बताया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन गाड़ी, कर्मचारियों और सरकारी बंगले की सुविधा दी गई थी. हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद डॉ. जगन्नाथ मिश्रा, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और सतीश प्रसाद सिंह को सरकारी बंगला छोड़ना पड़ेगा.
कोर्ट ने कहा कि बतौर विधायक या एमएलसी के तहत मिले सरकारी बंगले में रह सकेंगे. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से मिले बंगले को छोड़ना होगा.पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था, जिसके बाद अखिलेश यादव, मुलायम सिंह और राजनाथ सिंह को बंगला खाली करना पड़ा था.
जब यह मामला पटना हाई कोर्ट आया तो पूर्व मुख्यमंत्रियों को प्रतिकूल फैसला आने का अंदेशा हो गया था. हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि अब वह राज्य सरकार से उम्मीद करते हैं कि वरिष्ठ विधायक होने के नाते उनके बंगले को बहाल रखा जाए. उन्होंने कहा, मैं पूर्व सीएम के अलावा 7 बार विधायक रह चुके हूं. सीएम नीतीश कुमार चाहें तो सेंट्रल पूल में रखकर मुझे बंगला आवंटित कर सकते हैं. लेकिन सरकार मुझे जो आवास देगी, मैं उसमें शिफ्ट हो जाऊंगा. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था.
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